देश की खबरें | समलैंगिक जोड़ों से निपटने के बारे में पुलिस बल को संवेदनशील बनाने की जरूरत है: उच्च न्यायालय

मुंबई, 19 जुलाई बम्बई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि परिवार के सदस्यों के साथ टकराव में समलैंगिक जोड़ों से संबंधित मामलों से निपटने के तरीके को लेकर पूरे महाराष्ट्र में पुलिस बल को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस आधार पर पुलिस सुरक्षा दिये जाने का अनुरोध किया गया था कि उसे और उसकी महिला साथी को उसकी साथी के परिवार द्वारा धमकी दी जा रही है।

मामले की छह जुलाई को हुई पिछली सुनवाई पर राज्य सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह समलैंगिक जोड़े को पुलिस सुरक्षा देगी।

जोड़े के वकील ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि पुलिस ने बाद में कहा कि उन्हें अभी तक अदालत का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है और इसलिए कोई सुरक्षा नहीं दी गई है।

पीठ ने कहा कि पुलिस को समलैंगिक जोड़े के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ ऐसे मामलों से निपटना होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे मामलों से कैसे निपटना है, इसके लिए राज्यभर में पूरे पुलिस बल को संवेदनशील बनाना होगा।’’

अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष आये इसी तरह के एक मामले का उल्लेख किया जहां न्यायाधीश ने तमिलनाडु सरकार से राज्य के विभागों में संवेदीकरण कार्यक्रम शुरू करने के लिए कहा था।

न्यायमूर्ति डेरे ने कहा, ‘‘मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दिशानिर्देश जारी किए गए थे जिसके बाद पुलिस आचरण नियमों में संशोधन किया गया था।’’

अदालत ने दंपती के वकील से मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों पर गौर करने को कहा और मामले की सुनवाई की अगली तिथि 28 जुलाई तय की।

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