देश की खबरें | प्रधानमंत्री ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ तक संपर्क सुविधा में सुधार के लिए आठ ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

अहमदाबाद, 17 जनवरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों को गुजरात के केवड़िया से जोड़ने वाली आठ ट्रेनों को रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हरी झंडी दिखाई। केवड़िया में ही सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ है।

उन्होंने ‘‘अतीत में देश में कामकाज के तौर तरीकों का उदाहरण’’ देते हुए समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर) का जिक्र किया।

मोदी ने कहा, ‘‘कुछ ही समय पहले मुझे पूर्वी और पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारे के एक बड़े खंड का लोकार्पण करने का मौका मिला। इस परियोजना पर लगभग आठ वर्ष में सिर्फ कागजों पर ही काम हुआ था। वर्ष 2006 से 2014 तक एक किलोमीटर तक भी पटरी नहीं बिछाई गई थी। अब आगामी कुछ महीनों में 1,100 किलोमीटर का काम पूरा हो जाएगा।’’

मोदी ने तीन रेलवे स्टेशनों और डभोई को केवड़िया से जोड़ने वाली एक ब्रॉड गेज लाइन का भी रविवार को वीडियो लिंक के माध्यम से लोकार्पण किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘रेलवे के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसा हो रहा है, जब एक साथ देश के अलग-अलग कोने से एक ही जगह के लिए इतनी ट्रेनों को हरी झंड़ी दिखाई गई हो।’’

मोदी ने कहा कि एक सर्वेक्षण के अनुसार आवागमन की सुविधाएं बढ़ने से रोजाना एक लाख से अधिक लोग केवड़िया आ सकेंगे।

उन्होंने कहा कि देश के रेलवे बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए हालिया वर्षों में किया गया कार्य अभूतपूर्व है।

मोदी ने कहा कि अतीत में सोचने के नए तरीकों और प्रौद्योगिकी पर कम ध्यान दिया जाता था, लेकिन अब रेलवे प्रणाली में कई मोर्चों पर बड़े बदलाव किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार रेलवे विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्म-निर्भरता पर ध्यान दे रही है, जो बदलाव का बड़ा कारण है।

मोदी ने कहा कि नए रेल संपर्को से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आने वाले पर्यटकों के अलावा स्थानीय निवासियों को भी बहुत फायदा होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘केवड़िया अब गुजरात के एक सुदूर इलाके में स्थित छोटा सा क्षेत्र नहीं रह गया है, बल्कि यह दुनिया के सबसे बड़े पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है।’’

मोदी ने कहा, ''कोरोना वायरस के दौरान महीनों तक सबकुछ बंद रहने के बावजूद केवड़िया आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।''

उन्होंने कहा कि केवड़िया रेलवे स्टेशन यह सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयासों का उदाहरण है कि रेलवे पर्यावरण अनुकूल रहे।

जिन आठ ट्रेनों को हरी झंडी दी गई है, उनमें शामिल एक ट्रेन अहमदाबाद-केवड़िया जन शताब्दी एक्सप्रेस में विस्टाडोम पर्यटन कोच की सुविधा उपलब्ध है, जिसकी छत पर शीशे लगे हैं। छत पर शीशे लगे होने के कारण इस कोच में बैठे यात्री बाहर का खूबसूरत नजारा और बेहतर तरीके से देख सकेंगे।

मोदी ने कहा, ‘‘देश के जिस हिस्से में रेलवे की संपर्क सुविधाएं नहीं थी, अब वहां भी रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण के कारण संपर्क सुविधाएं है। पुराने रेल मार्गों को बड़ी रेल लाइनों में बदलने और विद्युतीकरण का काम पहले से कहीं अधिक तेजी से हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘रेल पटरियों को तेज गति की ट्रेनों के संचालन के अनुकूल बनाया जा रहा है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘यदि हमने उच्च हार्स-पावर लोकोमोटिव का निर्माण नहीं किया होता, तो क्या देश भारत की पहली डबल-स्टैक लॉन्ग-हॉल कंटेनर ट्रेन चला सकता था?’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत में निर्मित कई आधुनिक ट्रेन भारतीय रेल का हिस्सा हैं। हम भारतीय रेल में बदलाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में उच्च दक्षता प्राप्त मानवबल और परिवर्तनकारी दक्षता की आवश्यकता है।’’

मोदी ने कहा कि वडोदरा में भारत का पहला डीम्ड रेलवे विश्वविद्यालय इसी दिशा में एक कदम है।

मोदी ने जिन आठ ट्रेनों को हरी झंडी दी हैं, वे केवड़िया को वाराणसी, दादर, अहमदाबाद, हजरत निजामुद्दीन, रीवा, चेन्नई और प्रतापनगर से जोड़ेंगी।

मोदी ने डभोई, चांदोद और केवड़िया में नई स्टेशन इमारतों, डभोई-चांदोद परिवर्तित ब्रॉड गेज रेलवे लाइन, चांदोद-केवड़िया नई ब्रॉड गेज रेल लाइन और नव विद्युतीकृत प्रतापनगर केवड़िया खंड का भी उद्घाटन किया।

मोदी ने अन्नाद्रमुक के संस्थापक एम जी रामचंद्रन को भी श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा, ‘‘आज केवड़िया के लिए निकल रही ट्रेनों में एक ट्रेन पुरैच्ची तलैवर डॉ. एमजी रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन से भी आ रही है। ये सुखद संयोग है कि आज भारत रत्न एमजी रामचंद्रन की जयंती भी है। मैं उन्हें नमन करता हूं और उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘एमजीआर ने फिल्म स्क्रीन से लेकर राजनीति की स्क्रीन तक लोगों के दिलों पर राज किया था। उनका जीवन एवं पूरी राजनीतिक यात्रा गरीबों के लिए समर्पित थी। गरीबों के सम्मानजनक जीवन के लिए उन्होंने निरंतर काम किया।’’

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