नयी दिल्ली, नौ जनवरी नये कृषि कानूनों से जुड़े लंबित विषयों में पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए एक किसान संगठन ने शनिवार को उच्चतम न्ययालय का रुख किया और कहा कि ये सुधार किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में विकास के लिए ‘लाभकारी’ हैं।
उल्लेखनीय है केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान पिछले एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
‘कंसोर्टियम ऑफ इंडिया फारमर्स एसोसिएशन’ (सीआईएफए) ने शीर्ष न्यायालय को भेजी गई एक पत्र याचिका में अनुरोध किया है कि विभिन्न फसलों का प्रतिनिधित्व कर रहे अन्य किसान संघों को भी विषय में अपने विचार पेश करने के लिए अवसर दिया जाए।
प्रधान न्यायाधीश एस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ याचिकाओं के एक समूह पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगी। इन याचिकाओं के जरिए नये कृषि कानूनों को चुनौती दी गई है।
एसोसिएशन ने अपने मुख्य सलाहकार पी चेंगल रेड्डी के जरिये दायर याचिका में कहा है कि केंद्र को इन कानूनों के प्रावधानों में कोई बदलाव करने से पहले देश के अन्य किसान संगठनों से भी परामर्श करना चाहिए।
नये कृषि कानूनों के फायदों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है, ‘‘हम यह कहना चाहता हैं कि कृषि सुधार किसानों की आयम बढ़ाने तथा कृषि में संवृद्धि के लिए लाभकारी हैं। ’’
केंद्र ने छह जनवरी को शीर्ष न्यायालय से कहा था कि इन मुद्दों को लेकर सरकार और किसानों के बीच सार्थक बातचीत चल रही है।
शीर्ष न्यायालय ने इससे पहले नोटिस जारी किया था और तीनों कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं के समूह पर केंद्र का जवाब मांगा था।
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