इंदौर (मप्र), 29 सितंबर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान देश भर में सबसे ज्यादा 10.68 लाख वोट हासिल कर लोकसभा पहुंचे इंदौर के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद शंकर लालवानी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने ठोस तथ्यों और विशिष्ट आपत्तियों के अभाव में वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें कांग्रेस के पराजित उम्मीदवार पंकज संघवी ने लोकसभा सदस्य के रूप में लालवानी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए इसे अमान्य घोषित करने की गुहार की थी।
सांसद पद की दौड़ में पहली बार शामिल होने के बावजूद लालवानी ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 10 लाख 68 हजार 569 मत हासिल किए थे और इस सीट पर अपनी पार्टी का 30 साल पुराना कब्जा बरकरार रखा था। उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी के रूप में कांग्रेस प्रत्याशी संघवी को पांच लाख 47 हजार 754 वोटों के विशाल अंतर से हराया था।
वर्ष 1951 के लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत संघवी की दायर चुनाव याचिका 27 सितंबर (मंगलवार) को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने कहा,‘‘न्यायालय का सुविचारित मत है कि इस याचिका को इस तरह तैयार किया गया है कि इसमें जताई गईं आपत्तियों को देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र में संपन्न निर्वाचन पर सवाल उठाने के लिए कमोबेश हर चुनाव याचिका में हू-ब-हू दोहराया जा सकता है। इन परिस्थितियों में जब चुनाव याचिका की दलीलें अस्पष्ट होती हैं और इसमें ठोस तथ्यों का अभाव होता है, तो इसका परिणाम सबको पूर्वविदित प्रतीत होता है।’’
संघवी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि 23.50 लाख मतदाताओं वाले इंदौर क्षेत्र में मई 2019 के दौरान संपन्न लोकसभा निर्वाचन में मतदान और मतगणना के वक्त खासकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल को लेकर निर्वाचन आयोग के नियम-कायदों और दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया जिसका लालवानी को अनुचित चुनावी फायदा मिला।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने याचिका की गहन छानबीन के बाद कहा कि चुनाव से जुड़ी इन आपत्तियों को लेकर कोई भी विशिष्ट संदर्भ नहीं दिया गया है और यह एकदम ठीक मुकदमा है जब दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के प्रावधानों से अदालत को मिली शक्तियों के तहत इसे शुरुआत में ही खारिज कर दिया जाए।
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