नयी दिल्ली, एक दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में आयोजित दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवा प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए कई प्रश्नों को लेकर दाखिल एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मामले में किसी प्रकार की त्रुटि का कोई प्रमाण नहीं है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि परीक्षा में बैठ चुके याचिकाकर्ता ने महज अनुमान के आधार पर अपनी दलीलें तैयार की और परीक्षा-सह-न्यायिक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम कमेटी द्वारा बताए गए कारणों को चुनौती देने को लेकर एक भी वाजिब आधार पेश नहीं किया।
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पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता यह साबित कर पाने में असफल रहा कि प्रश्न और उसके उत्तर गलत थे या मौजूदा मामले में नाइंसाफी हुई । ’’
अदालत शिवनाथ त्रिपाठी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल तथा अन्य प्राधिकारों को तीन प्रश्नों के उत्तर को संशोधित करने और एक उत्तर को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
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पीठ ने कहा कि कमेटी ने याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सवालों पर गौर किया और इस बारे में विस्तृत कारण भी बताए।
पीठ ने कहा कि वह 19 नवंबर को कमेटी द्वारा दिए गए विवरण और कारणों से सहमत है। कमेटी ने तर्क दिया था कि संबंधित सवाल पूरी तरह सही थे और उसके उत्तर भी सही थे।
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