लखनऊ, 14 अप्रैल इलाज कराने आये एक मरीज के बाद में कोरोना संक्रमित पाये जाने पर लखनऊ के एक निजी अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर को बंद किये जाने के साथ—साथ उसके सम्पर्क में आये किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के 65 कर्मियों को पृथक वास में भेज दिया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि मधुमेह का 65 वर्षीय एक मरीज करीब एक हफ्ते पहले लखनऊ के मेडवेल हॉस्पिटल में इलाज कराने आया था। उससे एक्स—रे कराने को कहा गया था, जिसके लिये वह चरक डायग्नोस्टिक सेंटर गया था।
इसी दौरान मरीज की हालत खराब हो गयी और उसे सांस लेने में तकलीफ की शिकायत हुई। उसे शनिवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लाया गया। रोगी की हालत गम्भीर होने की वजह से उसे इमर्जेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे वहां से न्यूरोलॉजी विभाग ले जाया गया।
बाद में हुई जांच में वह मरीज कोरोना संक्रमित पाया गया। इस पर उसे पृथक वार्ड में भेज दिया गया। इस वक्त वह वेंटिलेटर पर है।
इस कोरोना संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने की वजह से ट्रॉमा सेंटर के 65 कर्मचारियों को पृथक वास में रख दिया गया। इनमें से 52 नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ तथा अन्य कर्मी हैं।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये सभी स्टाफकर्मियों का टेस्ट किया जा रहा है। सुबह तक उनमें से 15 की रिपोर्ट में संक्रमण सामने नहीं आया था। एहतियातन उन्हें पृथक वास में ही रखा जाएगा।
इस बीच, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेन्द्र अग्रवाल ने सोमवार को मेडवेल हॉस्पिटल और चरक डायग्नोस्टिक सेंटर को पत्र लिखकर अपना सारा कामकाज बंद करके उस मरीज के सम्पर्क में आये अपने कर्मियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा।
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