नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर अगले आदेश तक स्कूल बंद रखने के सरकार के फैसले का अभिभावकों ने स्वागत किया है।
अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई काफी चुनौतीपूर्ण है और स्कूल के सामाजिक माहौल से मेल नहीं खाती, फिर भी ''हमारे बच्चों'' की सुरक्षा से बढ़कर कुछ नहीं है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 हालात के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी के सभी स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे।
मंगलवार रात तक दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के 4,853 नए मामले सामने आ चुके थे। दिल्ली में एक दिन में संक्रमण के मामलों में यह सबसे अधिक वृद्धि थी।
सिसोदिया ने कहा कि परिजन फिलहाल स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं हैं।
प्रीति काचरू चंद्रा की 12 वर्षीय बेटी ब्लूबेल्स स्कूल इंटरनेशनल में पढ़ती है।
चंद्रा ने कहा, ''सरकार ने काफी समझदारी भरा फैसला लिया है। बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से, सामाजिक दूरी और अन्य स्वच्छता नियमों का पालन कराने के लिए स्कूलों के पास सीमित संसाधन हैं। दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है, ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने का कोई मतलब नहीं बनता। उनकी प्रतिरोधक क्षमता संवेदनशील और अति संवेदनशील होती है।
कोविड-19 की रोकथाम के लिये 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी बच्चों की बढ़ाई चलती रहे, इसके लिये पूरी दिल्ली और देशभर के स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प अपनाया था।
बीते लगभग छह महीने से इसी तरह चल रही पढ़ाई के इस तरीके से तालमेल बिठाना कठिन है, फिर भी पल्लवी शर्मा और मीनल सहगल जैसी अधिकतर माएं अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहतीं।
शर्मा की नौ वर्षीय बेटी काल्का पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। उनका कहना है कि वह स्कूल से पूछती रहती हैं कि स्कूल खोले जाने के बारे में मां-बाप की क्या राय है।
उन्होंने कहा, ''हम नहीं चाहते कि स्कूल खोले जाएं।''
शर्मा ने कहा, ''मुझे समझ नहीं आता कि बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर इतनी जल्दबाजी क्यों है। मुझे लगता है कि स्कूल और शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को आसान बनाने के लिये काफी जद्दोजहद कर रहे हैं। पीडीएफ पाठ्य सामग्री के अलावा शिक्षक बच्चों को वीडियो के जरिए भी पढ़ा रहे हैं। जहां तक पढ़ाई की बात है तो मुझे नहीं लगता कि बहुत अधिक नुकसान होने वाला है।''
वहीं, सहगल के 10 और सात साल के दो बेटे एपीजे स्कूल में पढ़ते हैं। वह भी शर्मा की बात से सहमत दिखती हैं। बल्कि उन्हें लगता है कि पढ़ाई का नया तरीका बच्चों को अलग तरह के अनुभव दे रहा है और इससे और ज्यादा ''स्वतंत्र'' बनने में मदद मिल रही है।
उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि स्कूल दोबारा न खोलने का फैसला सही है। बच्चों को अधिक खतरा है और हमें वायरस से उन्हें बचाए रखने को लेकर सचमुच सावधान रहना होगा ''
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