हमारी बगावत शिवसेना, बाल ठाकरे के आदर्शों, हिन्दुत्व को बचाने के लिए थी: CM एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को दशहरा रैली में कहा कि उनकी बगावत ‘विश्वासघात’ नहीं बल्कि ‘गदर’ थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से हाथ मिलाने को लेकर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के स्मारक पर घुटने टेकने चाहिए और माफी मांगनी चाहिए.
मुंबई, 6 अक्टूबर : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को दशहरा रैली में कहा कि उनकी बगावत ‘विश्वासघात’ नहीं बल्कि ‘गदर’ थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से हाथ मिलाने को लेकर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के स्मारक पर घुटने टेकने चाहिए और माफी मांगनी चाहिए. दशहरे के अवसर पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के एमएमआरडीए मैदान में एक महारैली को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि राज्य में मतदाताओं ने 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना और भाजपा को चुना था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के लिए कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिलाकर राज्य की जनता को ‘धोखा’ दिया. शिंदे ने करीब डेढ़ घंटे लंबे भाषण में कहा, ‘‘हमने गद्दारी नहीं की, बल्कि यह गदर था. हम गद्दार नहीं हैं, बल्कि बाला साहेब के सैनिक हैं. आपने बाला साहेब के मूल्यों को बेच दिया. कौन असली गद्दार है जिसने सत्ता के लालच में हिन्दुत्व से गद्दारी की.’’
शिवसेना का ठाकरे गुट अक्सर शिंदे नीत विद्रोहियों को ‘गद्दार’ कहकर निशाना बनाता रहा है. मुख्यमंत्री ने जून में ठाकरे नेतृत्व के खिलाफ अपनी बगाव का बचाव करते हुए कहा, ‘‘हमने यह कदम शिवसेना को बचाने, बाला साहेब के मूल्यों के संरक्षण, हिन्दुत्व और महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए उठाया. हमने सबके सामने ऐसा किया.’’ गौरतलब है कि शिंदे गुट की बगावत के कारण राज्य की मौजूदा महा विकास आघाड़ी (कांग्रेस- राकांपा- शिवसेना गठबंधन की) सरकार 29 जून को गिर गयी थी. इसके बाद शिंदे ने 30 जून को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. मुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे से शिवसेना के संस्थापक व उनके दिवंगत पिता बाल ठाकरे के स्मारक पर घुटने टेकने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों-कांग्रेस तथा राकांपा से हाथ मिलाने के लिए माफी मांगने को कहा. अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा, ‘‘क्या आपको (उद्धव ठाकरे) बाल ठाकरे के मूल्यों से समझौता करने के लिए पद (शिवसेना अध्यक्ष) पर बने रहने का अधिकार है?’’ यह भी पढ़ें : Dussehra Dangal: ‘गद्दार’, ‘बागी’, ‘कटप्पा’ – मुंबई की रैलियों में उद्धव और शिंदे में तलवारें तनीं
उन्होंने कहा कि उनकी दशहरा रैली में भारी भीड़ यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि बाल ठाकरे की विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी कौन हैं. शिंदे ने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते वह अपने गुट की दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क बुक करने में हस्तक्षेप कर सकते थे, लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘‘आपको (शिवाजी पार्क) मैदान मिलने के बावजूद हमारे पास शिवसेना प्रमुख (बाल ठाकरे) के सिद्धांत हैं.’’ ठाकरे नीत गुट को बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद दादर स्थित शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित करने की मंजूरी मिली थी. पार्टी के बागी धड़े के मुखिया शिंदे ने पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे की आलोचना करते हुए कहा कि शिवसेना कोई 'प्राइवेट लिमिटेड कंपनी' नहीं है और 56 साल पुराने संगठन को शिवसेना के आम कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से बनाया गया है. उन्होंने कहा कि ठाकरे कभी ‘हम दो हमारे दो’ से आगे नहीं बढ़े. वह उद्धव ठाकरे के पुत्रों आदित्य और तेजस ठाकरे का हवाला दे रहे थे शिंदे की रैली में उद्धव ठाकरे के भाई जयदेव ठाकरे और उनसे अलग हुईं उनकी पत्नी स्मिता ठाकरे ने भाग लिया. दिवंगत बाल ठाकरे के पोते निहार ठाकरे तथा शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के लंबे समय तक निजी सहयोगी रहे चंपा सिंह थापा ने भी रैली में हिस्सा लिया.