Assam-Mizoram Border Clash: विशेषज्ञों ने कहा- सीमा विवाद के समाधान के लिए असम-मिजोरम के पास न्यायालय जाने का विकल्प
हिमंत बिस्वा सरमा ने शेयर किया वीडियो (Photo: Twitter)

नई दिल्ली: विधि विशेषज्ञों की राय है कि असम (Assam)-मिजोरम (Mizoram) के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद (Border Disputes) का समाधान या तो उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा किया जा सकता है या केंद्र सरकार (Central Government) कर सकती है. उन्होंने मंगलवार को यह राय देते हुए टिप्पणी की कि सीमा पर हिंसक संघर्ष ‘विरोध की सबसे खराब अभिव्यक्ति है.’ Assam-Mizoram Border Clash: हिंसक झड़प में असम पुलिस के 6 जवानों की मौत पर मिजोरम में जश्न, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शेयर किया वीडियो

एक विशेषज्ञ ने इस सीमा विवाद को ‘संवैधानिक तंत्र की नाकामी तक करार दिया. अधिकारियों के मुताबिक मिजोरम से लगती ‘संवैधानिक सीमा’ की रक्षा करते हुए सोमवार को असम पुलिस के कम से कम पांच जवान मारे गए और पुलिस अधीक्षक सहित 60 से अधिक जवान घायल हो गए.

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और असम के स्थायी अधिवक्ता देबोजीत बोरकाकाती ने कहा कि केंद्र को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कदम उठाने चाहिए. वहीं, एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे का मानना है कि दोनों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए.

दवे ने कहा कि दोनों राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और हिंसक घटना आजादी के बाद से दोनों राज्यों के विद्रोह की सबसे कुरूप अभिव्यक्ति है.

दवे ने कहा, ‘‘ अगर इन राज्यों को कोई शिकायत है तो उन्हें इसके समाधान के लिए उचित परिवाद उच्चतम न्यायालय में दाखिल करना चाहिए. यह उनका अधिकार है. उन्हें पहले न्यायालय का रुख करना चाहिए और एक दूसरे के खिलाफ कुछ राहत का अनुरोध करना चाहिए.’’

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के इन राज्यों ने स्वयं बहुत खराब व्यवहार किया और ‘‘इन घटनाओं के बाद यह उचित होगा कि दोनों सरकारों को बर्खास्त कर राज्यों को राष्ट्रपति शासन के अधीन लाया जाए.’’

संवैधानिक कानूनों के विशेषज्ञ द्विवेदी ने कहा कि राज्य दो विकल्पों को चुन सकते हैं, पहला वे केंद्र सरकार से संपर्क करें और मामले का समाधान उचित तरीके एवं सहमति से संसद के कानून के जरिये करें.

उन्होंने कहा, ‘‘वे संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत उच्चतम न्यायालय का भी रुख कर सकते हैं लेकिन कानूनी समाधान में समय लगेगा. इस बीच, केंद्र उच्च स्तरीय समिति का गठन कर राज्यों को साथ बैठकर समाधान तलाशने को कह सकता है.’’

उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड देबोजीत बोरकाकाती ने कहा कि राज्यों को शीर्ष न्यायालय का रुख करना चाहिए, अगर वे ऐसा करना चाहते हैं लेकिन कानूनी प्रक्रिया में अधिक समय लगेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘सीमा विवाद का समाधान कम समय में नहीं हो सकता क्योंकि इस प्रक्रिया में सबूत पेश किए जाएंगे और उनका मूल्यांकन होगा. इसलिए, कानूनी समाधान पाने के बजाय राज्यों को फिलहाल अधिक संयम बरतना होगा ताकि मामला नियंत्रण से बाहर नहीं चला जाए.

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