नयी दिल्ली, 11 अगस्त राज्यसभा में बुधवार को पेगासस जासूसी मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई हालांकि सदन में राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची बनाने का अधिकार देने संबंधी एक महत्वपूर्ण विधेयक को लगातार करीब छह घंटे चर्चा करके पारित किया गया।
सदन में जब करीब छह घंटे की लगातार चर्चा के बाद ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को पारित किया गया तब उसके बाद आसन की अनुमति से साधारण बीमा कारोबार राष्ट्रीयकरण संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग पर जबरदस्त हंगामा किया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पहले 15 मिनट के लिए स्थगित की गयी। बाद में बीमा संबंधी विधेयक के पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिए शाम सात बजकर चार मिनट तक स्थगित कर दिया गया।
हंगामा कर रहे सदस्य सभापति के आसन के बेहद नजदीक आ आए और उन्होंने कागजों के टुकड़े करके हवा में आसन की ओर उछाल दिए।
इससे पहले, हंगामे के चलते सभापति ने बैठक शुरू होने के करीब पांच मिनट बाद ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।
हालांकि दोपहर बारह बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई, वैसे ही संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने प्रश्न काल स्थगित कर ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा जिस पर सदन ने सहमति जताई।
यह विधेयक राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जातियों की पहचान करने और सूची बनाने का अधिकार बहाल करता है। केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार द्वारा पेश किए गए इस विधेयक को चर्चा के बाद पारित करा दिया गया।
इसके पारित होते ही पीठासीन अध्यक्ष सस्मित पात्रा ने साधारण बीमा कारोबार राष्ट्रीयकरण संशोधन विधेयक पेश करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम पुकारा।
कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक पर चर्चा के लिए सदन की अनुमति लेने की मांग की। इस पर पात्रा ने कार्य मंत्रणा समिति में छह बजे के बाद भी बैठक करने संबंधी लिए गए एक फैसले का उल्लेख करते हुए सीतारमण को विधेयक पेश करने को कहा।
इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया और आसन के नजदीक आकर नारेबाजी आरंभ कर दी।
हंगामे के बीच ही सीतारमण ने विधेयक पेश किया। द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुची सिवा, वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी, तेलुगु देशम पार्टी के के. रवींद्र कुमार सहित कुछ अन्य सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की जबकि बीजू जनता दल और अन्नाद्रमुक ने इसका समर्थन किया।
विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग ध्वनि मत से खारिज कर दी गई।
हंगामा जारी रहते देख पीठासीन अध्यक्ष सस्मित पात्रा ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
इसके बाद जब सदन की बैठक आरंभ हुई तो स्थिति ज्यों की त्यों थी।
इसी बीच हंगामा कर रहे सदस्यों में से किसी ने कागज के टुकड़े कर हवा में फेंक दिये।
हंगामे के बीच ही विधेयक को पारित कराया गया। विधेयक पारित होने के तत्काल बाद कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले, सुबह 11 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकेया नायडू ने कल की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ, उसकी निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए।
विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा आसन के समक्ष आ कर हंगामा किए जाने का संदर्भ देते हुए सभापति ने कहा कि संसदीय परंपराओं को ताक पर रखने के लिए मानो होड़ सी मची हुई है। उन्होंने कहा कि कल जो अप्रिय घटना हुई, उस समय सदन में कृषि क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हो रही थी जो एक महत्वपूर्ण विषय है। नायडू ने हंगामे का संदर्भ देते हुए कहा कि सदस्य सरकार को अपनी मांग को लेकर बाध्य नहीं कर सकते।
सभापति अपनी बात कह रहे थे, इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।
गौरतलब है कि मंगलवार को, दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब बैठक पुन: शुरू हुई तो पेगासस जासूसी विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्षी सदस्यों का सदन में हंगामा फिर शुरू हो गया। हंगामे के बीच ही पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने ‘‘देश में कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान’’ पर अल्पकालिक चर्चा शुरू कराई। इसी दौरान विपक्षी दलों के कुछ सदस्य आधिकारिक मेज पर चढ़ गए, उन्होंने काले कपड़े लहराए और कुछ दस्तावेज फेंके।
आधिकारिक मेज पर राज्यसभा के महासचिव, अधिकारी और रिपोर्टर काम करते हैं। कल भी घटना के दौरान ये लोग वहीं काम कर रहे थे।
सदन में अव्यवस्था के चलते पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने दो बजकर 17 मिनट पर बैठक पंद्रह मिनट के लिए स्थगित कर दी थी। पंद्रह मिनट बाद उन्होंने हंगामे के चलते बैठक और आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी थी।
आधे घंटे बाद यानी दोपहर करीब तीन बजे बैठक जब फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने घोषणा की कि उपसभापति ने विभिन्न दलों के नेताओं को विचार-विमर्श के लिए अपने कक्ष में आमंत्रित किया है। इसके बाद उन्होंने बैठक को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद जब चार बजे उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो हंगामे के बीच, कालिता ने बैठक को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया था।
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