ताजा खबरें | कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति से निबटने के तौर तरीके को लेकर विपक्ष ने घेरा सरकार को

नयी दिल्ली, 16 सितंबर विपक्ष ने कोविड़-19 से उत्पन्न स्थिति से निबटने के तौर-तरीकों को लेकर केन्द्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए बुधवार को राज्यसभा में कहा कि यदि लॉकडाउन की घोषणा से पहले समुचित तैयारी की जाती तो प्रवासी मजदूरों सहित देश के एक बड़े वर्ग को इतनी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। विपक्षी सदस्यों ने केन्द्र से राज्यों का बकाया तुरंत जारी करने और उन्हें साथ लेकर चलने की मांग भी की ताकि वे कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति से बेहतर ढंग से निबट सकें।

कोविड-19 के बारे में स्वास्थ्य मंत्री मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के एक बयान पर उच्च सदन में हुई चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस साल के शुरू में हुई भारत यात्रा के दौरान ‘‘नमस्ते ट्रंप’’ के आयोजन और प्राधनमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपने आधिकारिक निवास में मोर के साथ तस्वीर को लेकर भी सरकार पर तीखे तंज कसे।

यह भी पढ़े | ताजा खबरें | पीछे ले जाने वाली है नयी शिक्षा नीति : खडगे.

कोविड-19 महामारी के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के बयान पर चर्चा में भाग लेते हुए सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु होने के संबंध में कोई आंकड़े नहीं हैं और इसलिए कोई मुआवजा भी नहीं है। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार के पास इसके आंकड़े क्यों नहीं हैं? हर राज्य जानता है कि किसकी मौत हुयी। उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए सरकार को देश में प्रवासी श्रमिकों के संबंध में डेटा बेस बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक रजिस्टर होना चाहिए। जो लोग शहरों में रहते हैं, उन्हें खाद्य सुरक्षा, राशन नहीं मिला है। इस तरह की समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।

यह भी पढ़े | जरुरी जानकारी | सेबी की प्रतिभूति बाजार प्रशिक्षकों का पैनल बनाने की योजना.

शर्मा ने कहा कि राज्य सरकारों को विश्वास में लेना चाहिए था जिससे वे बेहतर तैयारी कर सकते थे।

उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को जानकारी होती है कि निर्माण श्रमिक शिविर कहाँ स्थित हैं और वहां कितने लोग काम करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और चार घंटे में रेलवे को रोक दिया गया। इससे दुखद दृश्य सामने आए और देश की जो तस्वीर बाहर गई, वह अच्छी नहीं थी।

शर्मा ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन की पहली बार जो घोषणा की, उसके लिए सरकार ने कितनी तैयारी की थी? उन्होंने कहा कि देश की जनता को यह पता चलना चाहिए कि लॉकडाउन की वजह से कितना फायदा हुआ और कितना नुकसान हुआ?

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा से पहले यदि समुचित तैयारी कर ली जाती तो प्रवासी मजदूरों ने जो पीड़ाएं झेलीं, उनसे बचा जा सकता था।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमें कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति पर विचार करते हुए सिलसिलेवार घटनाक्रम को भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में पहला कोविड-19 मरीज 30 जनवरी को मिला। इस साल 24 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति की देश में मेजबानी की जा रही थी।

उन्होंने कहा कि पांच मार्च से पहले, बंगाल में पृथकवास के लिए वार्ड तैयार कर लिये गये थे। पांच मार्च को तृणमूल ने विभिन्न संसदीय समितियों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर विचार करने की मांग की किंतु 18 मार्च तक कुछ नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि इसके बाद 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गयी। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या इस घोषणा से पहले वीडियो कांफ्रेंस के जरिये कोई बैठक की गयी?

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार में इतनी विनम्रता होनी चाहिए कि वह राज्यों के साथ मिलकर काम कर सके। उन्होंने कहा कि आपको महामारी का नाम लेकर लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

डेरेक ने कहा कि इस महामारी के दौरान वह दो मजबूत छवियों का उल्लेख करना चाहेंगे। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लिये बिना कहा कि एक छोटे कद वाली महिला बाजार में लकीरों से गोले खींचकर लोगों को आपस में दूरी बनाये रखने की सीख दे रही है।

उन्होंने कहा कि एक अन्य छवि एक बाग और एक मोर की है। उनका संकेत हाल में आयी एक तस्वीर की ओर था जिसमें प्रधानमंत्री आवास पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समीप एक मोर को दिखाया गया था।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने कहा कि कभी कमी ‘‘नमस्ते आयोजन’’ कितना भारी पड़ जाता है, यह हमने पिछले तीन-चार महीनों में भारत में देखा है। अब आगे से बड़ी सावधानी बरतनी होगी।

झा का ‘‘नमस्ते आयोजन’’ से आशय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस साल फरवरी में हुयी भारत यात्रा के दौरान उनके स्वागत के लिए किए गये आयोजन से था।

उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से सवाल किया कि लॉकडाउन लगाने का फैसला व्यक्तिगत निर्णय था या सामूहिक? उन्होंने कहा कि यदि यह सामूहिक निर्णय था तो सरकार को बताना चाहिए कि इसके लिए क्या तैयारियां की गयी थीं?

झा ने लॉकडाउन के कारण समाज के निचले वर्ग को हुई परेशानियों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन लोगों की हमें चिंता करनी चाहिए थी, वे हमारी चिंता से दूर हो गये।

उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि उसके पास प्रवासी मजदूरों के बारे में आंकड़े नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार के पास प्रवासी मजदूरों से नजर मिलाने का जज्बा नहीं है।

झा ने सुझाव रखा कि पूरे सदन की ओर से मजदूरों से माफी मांगी जानी चाहिए क्योंकि उनके अनुसार पहले और दूसरे लॉकडाउन में इस वर्ग के लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया गया।

सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत के नाम पर देश में पहले से जरुरी व्यवस्था को लागू नहीं किया गया। इस वजह से आगरा, दिल्ली और अहमदाबाद आदि स्थानों में कोरोना वायरस के मामले बढ़े।

उन्होंने कहा कि विदेशों में फंसे लोगों को वन्दे भारत योजना के तहत हवाई जहाज भेज कर वापस लाया गया लेकिन देश में लाखों प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए कोई साधन नहीं था। प्रवासी मजदूरों ने घर लौटने के लिए भारी तकलीफों के बीच मीलों पैदल यात्रा की।

द्रमुक के टी शिवा ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि देश में संक्रमण के मामलों की संख्या 50 लाख से ज्यादा है और महामारी से मरने वालों की संख्या लगभग 82,000 है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना का पहला मामला काफी पहले प्रकाश में आया था तभी इसके प्रसार को रोकने का इंतजाम करना चाहिये था।

उन्होंने कहा कि सरकार डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत इंतजाम में व्यस्त थी और उसे लोगों की चिंता कम थी। उन्होंने दावा किया कि एक विदेशी गायिका के कार्यक्रम में वीआईपी लोगों में संक्रमण फैलने की घटना के बाद सरकार ने लॉकडाउन का कदम उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संक्रमण के मामलों की संख्या कम बता रही है और स्वास्थ्यकर्मियों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।

माकपा के इलामारम करीम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21 दिन कोरोना से लड़ाई लड़ेंगे, उसका क्या हुआ?

उन्होंने कहा कि राज्यों के जीएसटी बकाये का भुगतान नहीं किया गया है। ‘एमपीलैड’ कोष ‘पीएम केयर्स फंड’ में लगाया जा रहा है जिससे उस राशि का इस्तेमाल आधारभूत अवसंचना में नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार आम लोगों की समस्याओं को लेकर अधिक चिंतित नहीं है जहां महामारी के बाद की स्थितियों में 14-15 लाख श्रमिक अपना रोजगार खो चुके हैं।

माधव

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)