नयी दिल्ली, नौ फरवरी लोकसभा में बुधवार को विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट को ‘कृषि विरोधी’ बताते हुए इसमें गरीबों और दलितों के लिए कोई योजना नहीं होने का आरोप लगाया तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य का बजट बढ़ाने की जरूरत बताई, वहीं भाजपा सदस्यों ने बजट को समावेशी बताया।
अगले वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय बजट पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के डी एम कथिर आनंद ने कहा कि इस बजट में कोई कल्याणकारी योजना नहीं है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिलीप घोष और हिना गावित ने कहा कि यह समावेशी बजट है जो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और गति देने वाला है।
कांग्रेस के एम के राघवन ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत सरकार कॉर्पोरेट सरकार है, जबकि कांग्रेस हमेशा आम आदमी के साथ खड़ी रहेगी।
आनंद ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों के परिजनों के लिए बजट में किसी तरह के मुआवजे की घोषणा नहीं होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बजट को ‘कृषि विरोधी’ बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बजट में उत्तर भारत को काफी धन दिया गया है लेकिन दक्षिण को कुछ नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि मनरेगा जैसी अच्छी योजना में आवंटन कम किया गया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने कागजों पर तो बहुत कुछ रखा है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा में केंद्रीय बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार को बेरोजगारी और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज बहुत अधिक बेरोजगारी है। यह बड़ा मुद्दा है कि पढ़े लिखे युवा बेरोजगार हैं। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महंगाई बढ़ रही है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ रही है। मुझे लगता है कि जल्द ही एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर हो जाएगी। चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतें फिर बढ़ जाएंगी। इसका असर जरूरी वस्तुओं पर पड़ता है। सरकार से आग्रह है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को कम किया जाए ताकि गरीबी खत्म की जा सके।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि नयी परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना चाहिए।
लोकसभा के वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ‘‘सरकार का आभारी हूं कि तीनों कृषि कानून निरस्त किए। जब आप आगे कोई कानून बनाएं और विपक्ष कहे कि इसे प्रवर समिति को भेजिए तो सरकार को सुनना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाया जाए, अन्यथा हम दुनिया से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
भाजपा के दिलीप घोष ने कहा कि इस बजट में आधारभूत अवसंरचना पर विशेष ध्यान दिया गया है।
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार और वहां के राज्यपाल जगदीप के बीच चल रहे गतिरोध का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में एक ही समस्या है कि राज्यपाल हटाओ। मानो राज्यपाल हट जाएंगे तो सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि देश भर के अपराधियों, असामाजिक तत्वों और बांग्लादेश के आतंकवादियों ने पश्चिम बंगाल में शरण ले ली है।
घोष ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र सिर्फ चर्चा में है, वास्तव में नहीं है और वहां राज्यपाल को अपशब्द कहना फैशन बन गया है।
भाजपा की हिना गावित ने कहा कि यह समावेशी बजट है जिसमें सूक्ष्म स्तर पर अर्थव्यवस्था पर काम किया गया है।
उन्होंने कहा कि बजट में घोषित ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ योजना से पूरे देश को लाभ होगा और इस अवधारणा से सरकार स्थानीय कारोबारों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।
गावित ने कहा कि किसानों का समावेशी विकास इस सरकार की प्राथमिकता वाला विषय है। उन्होंने कहा कि बजट में घोषित किसान ड्रोनों से किसानों को बहुत फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने जल जीवन मिशन शुरू किया क्योंकि वह भी उन महिलाओं की पीड़ा समझती है जिन्हें दूर-दूर से पानी लेकर आना पड़ता है।
कांग्रेस के राघवन ने कहा कि यह सरकार गरीबों, किसानों, दलितों के लिए भावनाएं नहीं रखती और उसने मनरेगा जैसी योजना में भी आवंटन कम कर दिया है।
राघवन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस को ‘टुकड़ु टुकड़े गैंग’ कहते हैं, जबकि हम कांग्रेस के गौरवान्वित सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पूछते हैं कि संप्रग ने इतने साल तक क्या किया। कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘ हम मनरेगा लाए, आरटीआई लाए, खाद्य सुरक्षा कानून लाए, शिक्षा का अधिकार कानून लाए। ऐसी योजनाओं की एक लंबी सूची है।’’
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