विपक्षी दलों ने सरकार के समक्ष संसदीय कामकाज की बहाली और वित्तीय पैकेज समेत 11 सूत्री मांगे रखीं
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नयी दिल्ली, 22 मई कांग्रेस समेत 22 विपक्षी दलों ने देश में कोराना संकट को लेकर शुक्रवार को विस्तृत चर्चा की और केंद्र सरकार पर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस समय नया एवं समग्र वित्तीय पैकेज घोषित करने, संसदीय कामकाज बहाल करने और राज्य सरकारों को पूरी मदद मुहैया कराने समेत कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में चार घंटे से अधिक समय तक तक चली बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में इन दलों ने केंद्र से यह भी मांग की कि आयकर के दायरे से बाहर के सभी परिवारों को 7500 रुपये प्रति माह के हिसाब छह महीने तक मदद दी जाए।

उन्होंने किसानों, एमएसएमई क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य कामगारों की मदद और लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति को लेकर स्पष्टता की भी मांग की।

बैठक की अध्यक्षता कर रहीं सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को जनता के साथ क्रूर मजाक करार दिया और आरोप लगाया कि सरकार संघवाद की भावना के खिलाफ काम कर रही है और सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय तक सीमित हो गई हैं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बैठक में कहा कि अगर सरकार की ओर से गरीबों, मजदूरों, किसानों और सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) की वित्तीय मदद नहीं की गई तो देश में ‘आर्थिक तबाही’ हो जाएगी।

बैठक में चर्चा की शुरुआत से पहले नेताओं ने दो मिनट का मौन रख ‘अम्फान’ चक्रवात के कारण मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। फिर एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इसे तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए और पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा को मदद दी जाए।

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में इन पार्टियों ने कहा कि इस वक्त ‘शोमैनशिप’ नहीं बल्कि सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।

कांग्रेस के नेतृत्व में इन दलों ने सरकार के समक्ष 11 सूत्री मांग रखते हुए कहा, ‘‘ आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों को छह महीने के लिए 7500 रुपये प्रति माह दिया जाए। 10 हजार रुपये तत्काल दिए जाएं और शेष पांच महीने में दिया जाए।’’

उन्होंने कहा कि सभी जरूरतमंद लोगों को अगले छह महीने के लिए 10 किलोग्राम प्रति माह अनाज दिया जाए। इसके साथ ही मनरेगा के तहत कामकाज के दिनों को 150 से बढ़ाकर 200 दिन किया जाए।

इन दलों ने आग्रह किया, ‘‘प्रवासी कामगारों को उनके घर भेजने के लिए मुफ्त परिवहन सेवा मुहैया कराई जाए तथा विदेश में फंसे भारतीय छात्रों और नागरिकों को वापस लाने का इंतजाम किया जाए। कोविड-19 की जांच, संक्रमण, स्वास्थ्य ढांचे और संक्रमण रोकने के उपायों को लेकर सटीक जानकारी मुहैया कराई जाए। श्रम कानूनों में बदलाव सहित सभी एकतरफा नीतिगत निर्णयों को बदला जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ किसानों से रबी की उपज को एमएसपी के मुताबिक खरीदा जाए तथा खरीफ की फसल के लिए किसानों को बीज, उर्वरक और दूसरी सुविधाएं दी जाएं। कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर लड़ रही राज्य सरकारों को उचित धन मुहैया कराया जाए। अगर लॉकडाउन से बाहर निकलने की कोई रणनीति है तो उसके बारे में स्पष्ट रूप से बताया जाए।’’

इन दलों ने कहा कि संसदीय कामकाज और समितियों की बैठक बहाल कराई जाए, 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की जगह एक संशोधित और समग्र पैकेज पेश किया जाए, कोई भी अंतरराष्ट्रीय अथवा घरेलू उड़ान शुरू करते समय संबंधित राज्य सरकार से विचार-विमर्श किया जाए।

बैठक में कांग्रेस समेत 22 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए । हालांकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इस बैठक से दूर रहीं।

इस बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी, पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार एवं प्रफुल्ल पटेल, तृणमूल कांग्रेस से ममता बनर्जी एवं डेरेक ओब्रायन, शिवसेना से उद्धव ठाकरे और संजय राउत तथा द्रमुक से एमके स्टालिन शामिल हुए।

माकपा के सीताराम येचुरी, झामुमो के हेमंत सोरेन, भाकपा के डी राजा, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, राजद के तेजस्वी यादव एवं मनोज झा, रालोद के जयंत चौधरी, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा, एआईयूडीएफ के बदरूददीन अजमल, आईयूएमएल के पीके कुनालिकुट्टी, हम के जीतन राम मांझी, केरल कांग्रेस (एम) के जोस के. मणि, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, स्वाभिमानी पक्ष के राजू शेट्टी, तमिलनाडु की पार्टी वीसीके के थोल थिरुमावलन और टीजेएस के कोंडनदरम ने बैठक में शिरकत की।

हक

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