मुंबई, 20 जून शिवसेना में बगावत का एक साल पूरा होने पर महाराष्ट्र में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले. पार्टी को हिलाकर रख देने वाली इस बगावत को लेकर दोनों प्रतिद्वंद्वी धड़ों ने अपनी-अपनी धारणा के तहत ‘गद्दार दिवस’ और ‘आत्मसम्मान दिवस’ मनाया.
बगावत के बाद राज्य में उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन सरकार भी गिर गई थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने 'गद्दार दिवस' मनाया और बागी विधायकों के खिलाफ अपना गुस्सा निकाला, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले सत्ताधारी धड़े ने 'आत्मसम्मान दिवस' मनाया और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत का उल्लेख किया. यह भी पढ़ें: फडणवीस का बड़ा हमला कहा- उद्धव के कार्यकाल में BMC में 12,000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ! SIT जांच को लेकर डरे हुए हैं
शिवसेना के 57वें स्थापना दिवस समारोह के एक दिन बाद पार्टी के दोनों प्रतिद्वंद्वी धड़ों ने एक-दूसरे पर निशाना साधा. दोनों धड़ों के नेताओं- ठाकरे और शिंदे, ने मुंबई में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए और एकदूसरे पर आरोप लगाए.
बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी में पिछले साल की बगावत के बाद विभाजन देखने को मिला था और उसके चलते महा विकास आघाडी (एमवीए) नीत सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी. एमवीए में तीन दल संयुक्त शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल थे.
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर 20 जून को 'विश्व गद्दार दिवस' के तौर पर घोषित करने का आग्रह किया है। 20 जून को शिंदे सहित 40 शिवसेना विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और बाद में शिंदे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को लिखे पत्र में, राउत ने कहा कि 20 जून, 2022 को शिवसेना के 40 विधायकों का एक समूह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा "उकसाये" जाने के बाद पार्टी से अलग हो गया था.
पत्र में राउत ने कहा कि कहा जाता है कि उनमें से प्रत्येक ने दल बदलने के लिए 50 करोड़ रुपये लिये। हालांकि संबंधित विधायकों ने इस दावे को खारिज किया है. उन्नीस जून की तिथि वाले पत्र को राज्यसभा सांसद ने मंगलवार को ट्वीट किया था.
पुलिस ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने सांगली, धुले, अहमदनगर, नासिक, बीड, लातूर, पुणे, कोल्हापुर और नागपुर सहित अन्य शहरों में 'गद्दार दिवस' प्रदर्शन किये. पार्टी कार्यकर्ताओं ने "खोके दिवस" के नारे लगाये और आरोप लगाया कि धन ने बगावत में भूमिका निभायी. बोलचाल की में एक खोके का मतलब एक करोड़ होता है.
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