![‘Emergency’ फिल्म के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने कहा, रचनात्मक स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता ‘Emergency’ फिल्म के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने कहा, रचनात्मक स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2024/03/Bombay-High-Court-380x214.jpg)
मुंबई, 19 सितंबर : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता और सेंसर बोर्ड कानून-व्यवस्था खराब होने की आशंका के कारण किसी फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इनकार नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कंगना रनौत अभिनीत फिल्म 'इमरजेंसी' को प्रमाणपत्र जारी करने के सिलसिले में निर्णय नहीं लेने पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रति नाराजगी व्यक्त की और 25 सितंबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया. पीठ ने पूछा कि क्या सीबीएफसी को लगता है कि इस देश के लोग इतने भोले-भाले हैं कि वे फिल्म में दिखाई गई हर बात पर विश्वास कर लेंगे. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सीबीएफसी राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने में देरी कर रहा है, इसपर उच्च न्यायालय ने कहा कि फिल्म की सह-निर्माता रनौत स्वयं भाजपा की सांसद हैं और क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपने सांसद के खिलाफ काम कर रही है?
रनौत ने फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी की मुख्य भूमिका निभाने के अलावा इसका निर्देशन और सह-निर्माण भी किया है. अभिनेत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीबीएफसी पर रिलीज में देरी करने के लिए प्रमाणन में बाधा डालने का आरोप लगाया था. पीठ ने कहा, "आपको (सीबीएफसी) किसी न किसी तरह से निर्णय लेना ही होगा. आपके पास यह कहने का साहस होना चाहिए कि यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकती. कम से कम तब हम आपके साहस और निर्भीकता की सराहना करेंगे. हम नहीं चाहते कि सीबीएफसी टालमटोल की मुद्रा में रहे." अदालत जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीएफसी को फिल्म "इमरजेंसी" के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. यह भी पढ़ें : ‘इमरजेंसी’ फिल्म के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने कहा, रचनात्मक स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता
फिल्म पहले 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन शिरोमणि अकाली दल समेत सिख संगठनों की आपत्ति के बाद यह विवादों में घिर गई. इन संगठनों का आरोप है कि फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को तत्काल प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद पीठ ने सेंसर बोर्ड को 18 सितंबर तक फिल्म को प्रमाण पत्र जारी करने के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया था. बृहस्पतिवार को सीबीएफसी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने अदालत को बताया कि बोर्ड के अध्यक्ष ने फिल्म को अंतिम निर्णय के लिए पुनरीक्षण समिति को भेज दिया है. चंद्रचूड़ ने कहा कि सार्वजनिक अव्यवस्था फैलने की आशंका है. ‘जी एंटरटेनमेंट’ की ओर से वरिष्ठ वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि यह सिर्फ समय बर्बाद करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फिल्म अक्टूबर में हरियाणा चुनाव से पहले रिलीज न हो.
पीठ ने कहा कि सीबीएफसी ने उसके पिछले आदेश का पालन नहीं किया है और केवल एक विभाग से दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डाल दी है. पीठ ने कहा कि सीबीएफसी को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते किसी फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता. उच्च न्यायालय ने कहा, "इसे रोकना होगा. अन्यथा हम यह सब करके रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरी तरह से अंकुश लगा रहे हैं." अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि लोग फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्यों के प्रति इतने संवेदनशील क्यों हो गए हैं? न्यायमूर्ति कोलाबावाला ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "हमें समझ में नहीं आता कि लोग इतने संवेदनशील क्यों हैं. फिल्मों में हमेशा मेरे समुदाय का मजाक उड़ाया जाता है. हम कुछ नहीं कहते. हम बस हंसते हैं और आगे बढ़ जाते हैं." चंद्रचूड़ ने दो सप्ताह का समय मांगा, जबकि अदालत ने कहा कि निर्णय 25 सितंबर तक लिया जाना है.
धोंड ने कहा कि राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है. पीठ ने राजनीतिक पहलू पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या याचिकाकर्ता यह दावा कर रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी खुद रनौत के खिलाफ है, जो फिल्म की सह-निर्माता और भाजपा की लोकसभा सदस्य भी हैं. अदालत ने पूछा, "सह-निर्माता खुद भाजपा सांसद हैं. वह सत्तारूढ़ पार्टी की सदस्य भी हैं. तो आप कह रहे हैं कि उनकी अपनी पार्टी अपने सदस्य के खिलाफ है?" धोंड ने दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी समाज के एक खास वर्ग को खुश करने के लिए एक मौजूदा सांसद को नाराज करने पर उतारू है.
जी एंटरटेनमेंट ने अपनी याचिका में दावा किया कि सीबीएफसी ने पहले ही फिल्म के लिए प्रमाणपत्र तैयार कर दिया था, लेकिन इसे जारी नहीं कर रहा है.