नयी दिल्ली, तीन दिसंबर तेल को राष्ट्रीय संपत्ति बताते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि देश के विकास के लिए इसका समुचित तरीके से दोहन किया जाना चाहिए और बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों में इस क्षेत्र में आत्म निर्भरता बेहद जरूरी है।
तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि तेल एवं गैस क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत होती है और परिणाम मिलने में लंबा समय लगता है।
उन्होंने कहा ‘‘पूर्ववर्ती सरकारों की नीतिगत पंगुता का खामियाजा हमें भुगतना पड़ा। 2006 से 2014 का समय वह था जब कई विदेशी कंपनियों ने हमसे मुंह मोड़ लिया था क्योंकि उन्हें देश में काम करने की अनुमति नहीं मिल पाई थी। इसके प्रतिकूल परिणाम मिले।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया में पांच बड़ी तेल कंपनियां हैं। ‘‘हम इनका लाभ नहीं उठा सके।’’
पुरी ने कहा कि 3.5 मिलियन वर्ग मीटर क्षेत्र है जिसमें कुछ हिस्सा निषिद्ध क्षेत्र है। 2014 में जब नीतियां बदलीं तो नए अनुबंध हुए और इस क्षेत्र में तेल की खोज शुरु हुई जिसका लाभ देश को मिला।
उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक के अनुसार, तेल क्षेत्र के विवाद के हल के लिए मध्यस्थता की व्यवस्था रहेगी और अधिकार क्षेत्र की व्यवस्था इसलिए है ताकि नियमों का उल्लंघन न हो।
उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम लीज का जिम्मा आज भी राज्यों के पास ही होगा।
पुरी ने कहा कि पेट्रोलियम भंडार सात दिनों का होने की बात सही नहीं है, यह भंडार पर्याप्त है। ‘‘इसमें आपात स्थिति को भी ध्यान में रखा गया है।’’
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक आयात पर निर्भरता रही और 37 देश तेल आयात करने वाले थे जबकि आज यह संख्या 23 हो चुकी है। ‘‘भारत आत्म निर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के कारण निर्यातक देश भी बदले हैं। उन्होंने कहा कि आज आयात की प्रक्रिया भी बदली है और यह धारणा सही नहीं है कि सस्ता तेल होने की वजह से किसी खास देश से ही आयात किया जाता है।
पुरी ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद देश वासियों को राहत नहीं दिए जाने के विपक्ष के आरोपों पर कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं उनमें विभिन्न शुल्कों में कटौती कर पेट्रोल-डीजल के दाम कम किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारत में एलपीजी सिलेंडर दुनिया में सबसे कम कीमत में दिया जाता है। देश में गैस के कनेक्शन 2014 के 14 करोड़ से बढ़ कर 33 करोड़ हो चुके हैं जिसका मतलब है कि देश में एलजीपी सिलेंडर का उपयोग करने वालों की संख्या बढ़ी है।
पुरी ने कहा कि वर्ष 2014 में जैव ईंधन में मिश्रण 1.4 फीसदी था और आज पर्याप्त इकोसिस्टम के कारण पिछले माह एथेनाल मिश्रण 16.9 फीसदी रहा। ‘‘हमारा लक्ष्य 2030 तक 20 फीसदी मिश्रण करने का है। लेकिन जो प्रगति है, उसे देख कर लगता है कि हम अक्टूबर 2025 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे।’’
ग्रीन हाइड्रोजन का जिक्र करते हुए पुरी ने कहा कि देश में इसकी मांग, उत्पादन और खपत की पूरी गुंजाइश और संभावना है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि निवेशक एक ही लीज, एक ही लाइसेंस के साथ अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर सकें और विवादों का समाधान भी तय समय पर होगा।
पुरी ने कहा कि राज्यों के लिए भी इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, लाभकारी स्थिति है।
उन्होंने कहा कि तेल एक राष्ट्रीय संपत्ति है और देश की बेहतरी के लिए इसका दोहन किया जाता है। उन्होंने कहा कि तमाम पहलुओं को ध्यान में रख कर ही यह संशोधन विधेयक लाया गया है।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी।
माकपा के जॉन ब्रिटास तथा ए रहीम ने अपने अपने संशोधन पेश किए जिन्हें मंजूरी नहीं मिली।
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