जरुरी जानकारी | तेल उद्योग का सरकार से खाद्य तेलों के आयात शुल्क से छेड़छाड़ नहीं करने का आग्रह

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर खाद्य तेल उद्योग के संगठन एसईए ने बुधवार को सरकार से खाद्य तेलों के आयात शुल्क में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने का आग्रह किया। संगठन ने कहा है कि सरकार को घरेलू बाजार में खाद्य तेल के दाम नियंत्रित करने के प्रयास में सस्ते आयात को बढ़ावा देने का कोई कदम नहीं उठाना चाहिये। इससे घरेलू स्तर पर तिलहन उत्पादन को प्रोत्साहन देने के प्रयास को नुकसान पहुंच सकता है।

मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और संबंधित मंत्रालयों को भेजे एक ज्ञापन में कहा कि आयात शुल्क कम करके खाद्य तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए, नीति में कोई भी बदलाव करने से तिलहन उत्पादक किसानों को गलत संकेत जायेगा। यह सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिये भी झटका होगा।

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तेल उद्योग के इस संगठन ने माना है कि दूसरे उपभोक्ता वस्तुओं की तरह खाद्य तेलों के दाम भी कुछ बढ़े हैं। यह विभिन्न सरकारों द्वारा अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सुस्ती से उबारने के लिये बड़े पैमाने पर नकदी को डालने का नतीजा है।

एसईए ने कहा है कि यह भी देखने की बात है कि सरकार ने लंबे समय से, देश में खाद्य तेल की कीमतें बहुत कम बनाये रखी हैं, जिससे तिलहन किसानों को निराशा हुई है उत्पादन को बढ़ावा नहीं मिल पाया और खाद्य तेल के मामले में आयात पर निर्भरता लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

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एसईए ने कहा, ‘‘इस मूल्य वृद्धि से तिलहन किसान खेती का रकबा बढ़ाने और बेहतर कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।’’

मौजूदा समय में सरसों की बुवाई चल रही है और संभावना है कि 1.25 करोड़ टन सरसों उत्पादन के सरकार के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

ज्ञापन में कहा गया है कि उपभोक्ता के घरेलू बजट में खाद्य तेल हिस्सा बहुत कम होता है ऐसे में कीमतों में मामूली वृद्धि का कोई खास प्रभाव नहीं होगा।

एसईई ने कहा, ‘‘उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, हमें लगता है कि आयात शुल्क में कमी या सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती शुल्कों पर तेलों का आयात करने के लिए प्रोत्साहित करना उचित नहीं होगा क्योंकि यह देश हित के विपरीत होगा और हमारे दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाएगा।’’

राजेश

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