नयी दिल्ली, 31 जनवरी विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख रहा, जबकि सामान्य कारोबार के बीच सरसों और मूंगफली तेल की कीमतें पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर बनी रहीं।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मूंगफली और सरसों में सामान्य कारोबार हुआ, जहां कारोबारी बजट घोषणाओं का इंतजार करते दिखे। कारोबारियों को आगामी केन्द्रीय बजट में देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने के संबंध में सरकार से कुछ प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की उम्मीद है। अनुकूल घोषणाओं के बाद भविष्य में कारोबारी गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह मलेशिया एक्सचेंज में लगभग सात प्रतिशत की तेजी रही, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज लगभग पांच प्रतिशत तेज रहा। विदेशी बाजारों में तेजी का असर सीपीओ और सोयाबीन की कीमतों में साफ दिखाई दिया जिनके भाव तेजी दर्शाते बंद हुए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा आयात शुल्क मूल्य के हिसाब से और मुनाफा जोड़कर सीपीओ आयात करने का भाव 103 रुपये किलो बैठता है जबकि हाजिर बाजार में भाव लगभग 98 रुपये किलो है। लेकिन सीपीओ की मांग बढ़ी है जिसका असर स्थानीय कारोबार पर दिखा और परिणामस्वरूप कच्चा पामतेल, पामोलीन दिल्ली और कांडला की कीमतों में सुधार आया।
उन्होंने कहा कि वैश्विक मांग होने के बीच सोयाबीन डीगम का भाव भी 1,085 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,120 डॉलर प्रति टन हो गया जिससे स्थानीय बाजार में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम कीमतों में सुधार आया।
बेपड़ता कारोबार से बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया। आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने से बिनौला तेल की मांग बढ़ी है।
सूत्रों ने कहा कि आज से 25 साल पहले सूरजमुखी तेल का आयात लगभग नगण्य था, क्योंकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के अलावा कई अन्य स्थानों पर सूरजमुखी की अच्छी खेती होती थी। लेकिन सूरजमुखी की खेती को प्रोत्साहन की कमी की वजह से किसान इसकी जगह धान की खेती करने लगे। जिसका परिणाम हुआ कि देश में बड़ी मात्रा में इस तेल का आयात होने लगा है।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी दाना के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से 15 से 20 प्रतिशत नीचे हैं, जो किसानों को आगे इसकी खेती करने से हतोत्साहित करेगा।
गौरतलब है कि अभी कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार सहित कई राज्यों में सूरजमुखी की बिजाई होने वाली है। ऐसे में सरकार को सूरजमुखी के एमएसपी से कम दाम पर बिक्री की रोकथाम के समुचित उपाय करने होंगे ताकि इस तेल का आयात नहीं करने की पुरानी स्थिति को फिर से कायम किया जा सके तथा महाराष्ट्र और कर्नाटक में बंद पड़ी मिलों का संचालन पुन: शुरू हो सके। हल्का तेल होने की वजह से इसके तेल की वैश्विक मांग बढ़ी है।
सूत्रों ने उम्मीद जताई कि सरकार अपनी बजट घोषणाओं में देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के संबंध में कोई पुख्ता उपाय करेगी।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन दाना और लूज के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 100 रुपये और 50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,650-4,700 रुपये और 4,500-4,535 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 550 रुपये, 600 रुपये और 550 रुपये का सुधार दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 12,100 रुपये, 11,700 रुपये और 11,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
गत सप्ताहांत सरसों दाना 6,025-6,075 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी तेल 12,150 रुपये क्विन्टल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल की कीमतें क्रमश: 1,850-2,000 रुपये और 1,980-2,035 रुपये प्रति टिन पर अपरिवर्तित रुख के साथ बंद हुईं।
बजट घोषणाओं से पहले सुस्त कारोबारी गतिविधियों के बीच मूंगफली दाना सप्ताहांत में 5,490-5,555 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल 13,750 रुपये क्विन्टल पर अपरिवर्तित रहा। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड की कीमत भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 2,180-2,240 रुपये प्रति टिन पर पूर्ववत बनी रही।
मलेशिया एक्सचेंज में सुधार और वैश्विक मांग होने से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 600 रुपये सुधरकर 9,800 रुपये, रिफाइंड पामोलिन दिल्ली का भाव 700 रुपये सुधरकर 11,400 रुपये और पामोलीन कांडला (बिना जीएसटी) 700 रुपये सुधरकर 11,000 रुपये क्विंटल हो गया। समीक्षाधीन सप्ताहांत में बिनौला तेल भी 500 रुपये बढ़कर (बिना जीएसटी के) 10,400 रुपये क्विंटल हो गया।
सूत्रों ने कहा कि सरकार से आगामी बजट प्रस्तावों में देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिये जाने की उम्मीद की जा रही है ताकि इस मामले में देश आत्मनिर्भर बन सके।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)