कोविड-19 से मौत के आधिकारिक आंकड़े सामान्य समझ से परे : पित्रोदा

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से प्रतिदिन होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए दावा किया है कि ये आंकड़े सामान्य समझ से परे हैं.

कोरोना का कहर (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 10 मई : इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (Indian Overseas Congress) के प्रमुख सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से प्रतिदिन होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए दावा किया है कि ये आंकड़े सामान्य समझ से परे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में आम दिनों में रोजाना औसतन 30 हजार लोगों की मौत होती है और ऐसे में कोरोना से अगर प्रतिदिन 3000 अतिरिक्त (10 फीसदी अधिक) लोगों की मौत हो रही है तो फिर अंतिम संस्कार के लिए कतारें नहीं लगनी चाहिए. पित्रोदा ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान हुई जनसभाओं को कोरोना वायरस का असली ‘सुपर स्प्रेडर’ (प्रसार करने वाला) करार देते हुए यह भी कहा कि भारत में टीकाकरण की प्रक्रिया को राजनीति से अलग रखना होगा.

भारत में दूरसंचार क्रांति के सूत्रधार माने जाने वाले और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के करीबी रहे पित्रोदा ने ‘डिकोडिंग इलेक्शन्स’ नामक यूट्यूब चैनल पर डॉक्टर मयंक दराल के साथ संवाद में कहा, ‘‘ भारत में आम दिनों में रोजाना औसतन 30 हजार लोगों की मौत होती है. यानी इतने लोगों का अंतिम संस्कार प्रतिदिन होता है. अब देखा गया कि अंतिम संस्कार के लिए कतारें लग गईं, जबकि रोजाना सिर्फ तीन हजार लोगों की मौत कोविड से होने की बात की गई.’’ पित्रोदा ने दावा किया, ‘‘अगर प्रतिदिन तीन हजार अतिरिक्त लोगों की मौत हो रही है तो अंतिम संस्कार के लिए कतारें कैसे लग रही हैं? इसका मतलब यह है कि मरने वालों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह सही नहीं है.’’ उन्होंने टीकाकरण की प्रक्रिया को राजनीति से दूर रखने की पैरवी की. यह भी पढ़ें : Bihar: पटना के न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के वैक्सीनेशन सेंटर में लोगों ने किया कोरोना के नियमों का उल्लंघन

हाल ही में ‘रिडिजाइन द वर्ल्ड’ नामक नयी पुस्तक लिखने वाले पित्रोदा ने कहा, ‘‘टीकाकरण एक जटिल प्रक्रिया है. निर्माण और वितरण को देखना होता है. अगर किसी चीज का निर्माण करते हैं तो आपको यह देखना होगा कि इसकी आपूर्ति कैसे करनी है.’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ हम यह कर सकते हैं. भारत में बहुत प्रतिभा है. लेकिन इस प्रक्रिया को राजनीति से अलग रखना होगा. इस प्रक्रिया को विशेषज्ञों को देखना होगा, राजनीतिक लोगों को इससे दूर रखना होगा.’’ भारत में कोरोना की दूसरी लहर से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना की दूसरी लहर की ‘रियल सुपर स्प्रेडर चुनावी जनसभाएं रहीं. प्रधानमंत्री ने मास्क नहीं पहना और इससे संदेश गया कि अब कोई दिक्कत नहीं है. हो सकता है, उनसे यह अनजाने में हुआ हो.’’

साथ ही, उन्होंने इस बात का उल्लेख किया, ‘‘भारत में एक दिक्कत यह है कि बहुत ज्यादा लोगों को पृथक नहीं कर सकते क्योंकि संयुक्त परिवार होते हैं.... इन सब कारणों से यह दूसरी लहर आई.’’ भविष्य की चुनावी राजनीति के बारे में पित्रोदा ने कहा, ‘‘तीव्र संपर्क माध्यमों (हाइपर कनेक्टिविटी) के कारण भविष्य में चुनावी राजनीति बदलने जा रही है.....इससे लोकतंत्र पूरी तरह से बदलने वाला है. अगर मेरे पास विकल्प हो तो मैं मोबाइल फोन के जरिए मतदान कराऊंगा क्योंकि यह ईवीएम से ज्यादा सुरक्षित है. ईवीएम अतीत की तकनीक है और इस पर बहुत विवाद भी होता है.’’ यह भी पढ़ें : COVID-19: देश में कोरोना के 3,66,161 नए केस, इन 10 राज्यों से आए 73 प्रतिशत से ज्यादा मामले

उन्होंने कहा, ‘‘मोबाइल फोन के माध्यम से मतदान कराने से आपको मतदान केंद्र की जरूरत नहीं होगी. लोग कहीं से भी मतदान कर सकते हैं. अगर मेरे पास विकल्प हो तो मैं चुनावी सभाओं को प्रतिबंधित करूंगा और विज्ञापनों पर रोक लगाऊंगा. अगर कोई नेता कुछ कहना चाहता है तो वह अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया के जरिए बात कर सकता है.’’ पित्रोदा ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार पूरी तरह केंद्रीकरण के बारे में है. हमें आगे विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण की जरूरत है. मैं किसी भी चीज के केंद्रीकरण के खिलाफ हूं. मेरे पास विकल्प हुआ तो मैं भारत को जिले के स्तर पर चलाऊंगा.’’

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