देश की खबरें | सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की संख्या बढ़ी, बचाव कार्य में रुकावट

उत्तरकाशी, 18 नवंबर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में मलबे को भेदकर ‘निकलने का रास्ता’ बनाने के कार्य में जहां फिर अड़चन आ गयी है, वहीं पता चला है कि सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की कुल संख्या 40 के स्थान पर 41 है।

बचाव कार्य में बाधा आने से पिछले लगभग एक सप्ताह से सुरंग में फंसे उन 41 श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया है जो बाहर निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

उत्तरकाशी जिला आपातकालीन नियंत्रण कक्ष से शनिवार सुबह मिली जानकारी के अनुसार, सुरंग में ड्रिलिंग का काम फिलहाल रुका हुआ है जबकि इंदौर से एक और उच्च क्षमता वाली शक्तिशाली ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गयी है ।

इस मशीन को देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर शुक्रवार रात को लाया गया जहां से इसे सिलक्यारा पहुंचाया गया।

इससे पहले, सुरंग में मलबे को भेदने के लिए दिल्ली से एक अमेरिकी ऑगर मशीन सिलक्यारा लाई गयी थी जिसने शुक्रवार दोपहर तक 22 मीटर तक ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गये थे जबकि पांचवें पाइप को डाले जाने का काम जारी था।

सुरंग का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) द्वारा इस संबंध में जारी एक बयान के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर करीब पौने तीन बजे पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान सुरंग में एक बहुत तेज ध्वनि सुनाई दी जिसके बाद बचाव अभियान रोक दिया गया ।

बयान में कहा गया है कि इस आवाज से बचावकर्मियों में घबराहट फैल गयी । परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने आसपास कुछ ढहने की चेतावनी भी दी जिसके बाद पाइप अंदर डालने का काम रोक दिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल बचाव कार्यों की मौके पर समीक्षा करने के लिए सिलक्यारा पहुंच रहे हैं ।

बताया जा रहा है कि सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है ।

यह दूसरी बार है जब सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील के कई पाइप के जरिए 'निकलने का रास्ता' बनाकर श्रमिकों को बाहर निकालने की योजना पर अमल के दौरान रुकावट आयी है।

इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था।

योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी बड़े व्यास के छह मीटर लंबे कई पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक रास्ता बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं।

इस बीच, इस योजना में रुकावट आने के बाद अब अधिकारी दूसरी योजना पर भी विचार कर रहे हैं जिसके तहत सुरंग के उपर किसी नजदीकी स्थान से ड्रिल करके अंदर जाने का रास्ता तैयार किया जाएगा। एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने इसकी पुष्टि की है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सिलक्यारा में चलाए जा रहे बचाव कार्यों की समीक्षा की और उसमें आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए वहां काम कर रही एजेंसियों को हर संभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए ।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है।

चारधाम परियोजना के तहत उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा ढह गया था जिससे उसमें श्रमिक फंस गए हैं ।

इस बीच, सुरंग में 41 श्रमिकों के फंसे होने की सूचना मिली है। उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से जारी सुरंग में फंसे श्रमिकों की ताजा सूची से यह जानकारी मिली ।

श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक सप्ताह से युद्धस्तर पर बचाव अभियान जारी है। लेकिन अभियान के छठे दिन निर्माण कंपनी को पता चला कि सुरंग में फंसे श्रमिकों में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के निवासी दीपक कुमार पटेल भी शामिल हैं ।

पटेल को मिलाकर सुरंग में फंसे बिहार निवासी श्रमिकों की संख्या बढ़कर पांच हो गयी है ।

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