नयी दिल्ली, 29 नवंबर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में हार को पार्टी के लिए ‘बड़ा झटका’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि अब जवाबदेही तय करने के साथ ही कठोर निर्णय लेने होंगे।
उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह भी कहा कि पार्टी नेताओं को अनुशासन का सख्ती से पालन करना चाहिए और पार्टी को पुराने ढर्रे की राजनीति से हर बार सफलता नहीं मिल सकती।
खरगे ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है और ऐसे में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करवाना निर्वाचन आयोग का संवैधानिक दायित्व है।
उन्होंने वायनाड से प्रियंका गांधी वाद्रा और नांदेड़ से रवींद्र चव्हाण के लोकसभा उपचुनाव जीतने पर उन्हें बधाई दी।
कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में हुई इस बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पार्टी के कई अन्य नेता शामिल हुए।
कांग्रेस और उसके सहयोगियों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इससे पहले उसे हरियाणा में भी आश्चर्यजनक हार का सामना करना पड़ा था।
खरगे ने कार्य समिति की बैठक में कहा, ‘‘हमें तुरंत चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है। ये नतीजे हमारे लिए संदेश हैं।’’
उन्होंने कई प्रदेशों में पार्टी के भीतर गुटबाजी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘सबसे अहम बात जो मैं बार-बार कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है।’’
खरगे ने कहा, ‘‘जब तक हम एक हो कर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे?
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जरूरी है कि हम सख्ती से अनुशासन का पालन करें। हर हालत में एकजुट रहना है। पार्टी के पास अनुशासन का भी हथियार है। लेकिन हम नहीं चाहते कि अपने साथियों को किसी बंधन में डालें।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सबको ये सोचने की दरकार है कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हम सबकी जीत है और हार में हम सबकी हार है। पार्टी की ताकत से ही हमारी ताकत है।’’
खरगे ने कहा, ‘‘चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था। लेकिन केवल माहौल पक्ष में होना भर जीत की गारंटी नहीं। हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा। क्या कारण है कि हम माहौल का फ़ायदा नहीं उठा पाते?’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘हमें पर्याप्त मेहनत करने के साथ समयबद्ध तरीके से रणनीति बनानी होगी। हमें अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करना होगा। हमें मतदाता सूची बनाने से लेकर वोट की गिनती तक रात-दिन सजग, सचेत और सावधान रहना होगा। हमारी तैयारी आरंभ से मतगणना तक ऐसी होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और ‘सिस्टम’ मुस्तैदी से काम करें।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कई राज्यों में पार्टी का संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘संगठन का मजबूत होना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है।’’
उन्होंने यह भी पूछा कि राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं के सहारे राज्यों का चुनाव आप कब तक लड़ेंगे?
खरगे ने कहा, ‘‘हाल के चुनावी नतीजों का संकेत यह भी है कि हमें राज्यों में अपनी चुनाव की तैयारी कम से कम एक साल पहले शुरू कर देनी चाहिए। हमारी टीम समय से पहले मैदान में मौजूद रहनी चाहिए। पहला काम मतदाता सूचियों की जांच करनी चाहिए ताकि हमारे पक्ष वालों के वोट हर हालत में सूची में बने रहें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम पुराने ढर्रे पर चलते हुए हर समय सफलता नहीं पा सकते। आपका राजनीतिक प्रतिद्वंदी क्या कर रहा है, इसे रोज़मर्रा में देखना होगा। हमें समय से निर्णय लेने होंगे। जवाबदेही तय करनी होगी।’’
खरगे ने कहा, ‘‘कई बार हम ख़ुद अपने सबसे बड़े शत्रु बन जाते हैं। हम ख़ुद अपने बारे में नकारात्मक और हताशापूर्ण बातें करेंगे और ये कहेंगे कि हमारा कोई विमर्श नहीं है तो मैं पूछता हूं कि विमर्श बनाना और उसको जनता तक पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। जो विमर्श हमने राष्ट्रीय स्तर पर तय किया था, वो अभी भी लागू है।’’
खरगे ने ईवीएम के मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है इसलिए इसे लेकर जितना कम कहा जाए उतना अच्छा। पर देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करवाना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है।’’
उन्होंने कहा कि बार-बार ये सवाल उठ रहे हैं कि किस हद तक ये दायित्व निभाया जा रहा है।
खरगे ने कहा, ‘‘सिर्फ़ 6 महीने पहले जिस तरह के नतीज़े लोकसभा चुनाव में एमवीए के पक्ष में आए थे, उसके बाद विधानसभा चुनाव का नतीज़ा राजनीतिक पंडितों के भी समझ से परे है। ऐसे परिणाम आए हैं कि कोई भी अंकगणित इसे उचित ठहराने करने में असमर्थ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें हर हालत में चुनाव लड़ने के तरीकों को बेहतर बनाना होगा, क्योंकि समय बदल गया है। चुनाव लड़ने के तरीके बदल गए हैं। हमें अपनी सूक्ष्म संचार रणनीति को विरोधियों से बेहतर करना होगा।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर विभाजनकारी राजनीति का आरोप लगाया और कहा कि उसके दुष्प्रचार का जवाब देना होगा।
हक
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