जयपुर, 15 जुलाई राजस्थान में जारी राजनैतिक संकट के बीच बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सचिन पायलट और उनके समर्थकों को जारी नोटिस पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की नीयत में भी खोट है और सरकार की नीयत में तो पहले से ही खोट था।
पूनिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विधायक दल की बैठक में विधायकों की अनुपस्थिति उनकी अयोग्यता का कारण नहीं होती है। इसका मतलब विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की नीयत में भी खोट है और सरकार की नीयत में तो पहले से खोट था। उन्होंने कहा, ‘‘हम उसके कानूनी पक्ष का अध्ययन कर रहे हैं। हम अपनी तरफ से जो हमारी भूमिका रहेगी उस पर विचार करेंगे लेकिन खासतौर पर जिनकी अपनी लडाई है, उनका जरूर नैतिक दायित्व है कि उस लडाई को वो कानूनी और संवैधानिक दायरे में रहकर लड़ें।’’
उन्होंने कहा कि हम यह कोशिश करेंगे की संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं हो और उसके लिये जो भी कानूनी लडाई होगी उसको हमलोग अपनी तरफ से लड़ेंगे।
कांग्रेस सरकार के अल्पमत में होने के आरोपों के बाद गहलोत सरकार से विधानसभा में शक्ति परीक्षण की मांग पर पूनिया ने कहा कि पार्टी की तरफ से इस बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका यदि विधानसभा के अंदर व्हिप उल्लंघन का कोई मामला आता है तब होती है। विधानसभा के बाहर कौन सी पार्टी क्या करती है, वो पार्टी अनुशासन में आता है।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो कुछ कार्रवाई की है वह विधानसभा के बाहर की है, उसके लिये विधानसभा की ओर से नोटिस देना किसी भी दृष्टि से और न ही कानूनन उचित है।
कुंज
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