नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उर्वरक उद्योग निकाय एफएआई ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में आयात और उत्पादन में गिरावट के बावजूद देश में डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कोई कमी नहीं है।
भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) ने यह मांग की कि डीएपी को सभी गैर-यूरिया उर्वरकों के बीच सबसे अधिक कीमत मिलनी चाहिए, क्योंकि इसका पोषण मूल्य अधिक है। इसने मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
देश के कुछ हिस्सों में डीएपी की अनुपलब्धता की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर एफएआई के अध्यक्ष एन सुरेश कृष्णन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश में डीएपी की कोई कमी नहीं है।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के अंत में डीएपी के बचे हुए स्टॉक में कमी आ सकती है।
एफएआई के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान डीएपी का उत्पादन घटकर 25.03 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 27.01 लाख टन था। समीक्षाधीन अवधि में डीएपी का आयात 39.68 लाख टन से घटकर 27.84 लाख टन रह गया।
डीएपी की बिक्री भी 76.31 लाख टन से घटकर 56.92 लाख टन रह गई।
कृष्णन ने कहा कि हालांकि, पिछले महीने डीएपी की बिक्री में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि देश को घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सालाना करीब एक करोड़ टन डीएपी की जरूरत होती है, जिसमें से करीब 60 प्रतिशत का आयात किया जाता है। इस साल अब तक चीन से आयात में भी कमी आई है।
एफएआई के चेयरमैन ने यह भी कहा कि एनपी/एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाशियम) उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि हुई है, जिससे डीएपी की बिक्री में गिरावट की भरपाई हो गई है।
कृष्णन ने कहा कि डीएपी की मौजूदा एमआरपी 1,350 रुपये प्रति बैग है और केंद्र द्वारा दी जा रही मौजूदा सब्सिडी से उद्योग को नुकसान नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी गैर-यूरिया उर्वरकों में डीएपी को अपने उच्च पोषक मूल्य के कारण अधिकतम मूल्य मिलना चाहिए।
डीएपी के आदर्श खुदरा मूल्य के बारे में पूछे जाने पर कृष्णन ने कोई विशेष राशि का जिक्र नहीं किया।
वर्तमान में म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) 1,500-1,600 रुपये प्रति बैग बिक रहा है, जबकि डीएपी की कीमत 1,350 रुपये प्रति बैग है। सरकार किसानों को यह महत्वपूर्ण पोषक तत्व सस्ती दर पर उपलब्ध कराने के लिए डीएपी पर भारी सब्सिडी दे रही है।
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