नयी दिल्ली, 24 दिसंबर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पशुओं से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर पशु आश्रय स्थल प्रदान करने की एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है। मंगलवार को एक सरकारी बयान में यह जानकारी दी गई है।
बयान में कहा गया है कि इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्गों पर पाए जाने वाले आवारा पशुओं और जानवरों की देखभाल और प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करना है।
बयान में कहा गया है कि 0.21 से 2.29 हेक्टेयर तक के आश्रय क्षेत्रों के साथ प्रायोगिक परियोजना के तहत आश्रयों को आवारा मवेशियों के सुरक्षित स्थान के रूप में काम करने के लिए रणनीतिक रूप से बनाया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय राजमार्गों पर उनकी उपस्थिति कम हो जाएगी।
इस पहल को उत्तर प्रदेश व हरियाणा सीमा से लेकर एनएच-334-बी के रोहना खंड सहित विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों पर लागू किया जाएगा। यहां खरखौदा बाईपास के साथ आश्रय स्थापित किए जाएंगे।
इसी तरह, एनएच-148-बी के भिवानी-हांसी खंड पर हांसी बाईपास, एनएच-21 के कीरतपुर-नेरचौक खंड और एनएच-112 पर जोधपुर रिंग रोड के डांगियावास से जाजीवाल खंड पर आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाएगा।
इस पहल को लागू करने के लिए एनएचएआई ने मौजूदा रियायती मेसर्स गवर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
अनुबंध के तहत, गवर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड एनएचएआई द्वारा प्रदान की गई भूमि पर पशु आश्रय स्थलों का निर्माण करेगी।
बयान के अनुसार, कंपनी रियायत अवधि के दौरान प्राथमिक चिकित्सा, पर्याप्त चारा, पानी और देखभाल करने वाले प्रदान करेगी। साथ ही वह इन आश्रय स्थलों का रखरखाव भी करेगी।
इस पहल को और अधिक समर्थन देने के लिए, रियायती अपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल के तहत घायल आवारा पशुओं के परिवहन और उपचार के लिए पशु एम्बुलेंस तैनात करेगी और इन पशुओं की समय पर चिकित्सा देखभाल के लिए प्रत्येक तरफ 50 किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और अस्पताल स्थापित करेगी।
एनएचएआई को देशभर के कई राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवारा पशुओं या मवेशियों की आवाजाही से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए खतरनाक है।
यद्यपि अतीत में राष्ट्रीय राजमार्गों से मवेशियों को हटाने के लिए कई कदम उठाए गए थे, लेकिन सामाजिक और संवेदनशील दृष्टिकोण वाले कई सहायक मुद्दों के कारण उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी।
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