काठमांडू, आठ अगस्त नेपाल के पांच दलों की गठबंधन सरकार ने रविवार को अपना ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ (सीएमपी) जारी किया, जिसमें सभी नागरिकों को मुफ्त कोविड-19 का टीका लगाना, राजनीतिक शांति प्रक्रिया को निष्कर्ष तक पहुंचाने, महामारी से प्रभावित उद्योगों को राहत देना और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी गई है।
नेपाली कांग्रेस के नेता और सीएमपी के समन्वयक पूर्ण खडका ने एक कार्यक्रम में 14 पन्ने का दस्तावेज जारी किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड’, जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव और राष्ट्रीय जनमोर्चा के प्रमुख चित्र बहादुर केसी शामिल हुए।
सीएमपी में संतुलित विदेश नीति अपनाने, राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने, राष्ट्रीय हितों के खिलाफ हुई सभी संधियों और समझौतों की समीक्षा करने और कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख समेत पड़ोसी देशों के साथ सीमा मुद्दों के समाधान की भी बात है।
भारत और नेपाल के बीच संबंधों में पिछले वर्ष तब तनाव पैदा हो गया था, जब नेपाल ने नया राजनीतिक मानचित्र जारी कर तीन भारतीय क्षेत्रों -- लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया।
नेपाल के मानचित्र जारी करने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। सीएमपी में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा चौकियों के अलावा सीमा सुरक्षा को भी मजबूत किया जाएगा ताकि तस्करी को रोका जा सके।
इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए आर्थिक पैकेज की शुरुआत की जाएगी। प्रभावित उद्योगों को सहायता दी जाएगी और पर्यटन पर खास जोर होगा।
उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद 12 जुलाई को रिकॉर्ड पांचवीं बार देउबा (75) को प्रधानमंत्री बनाया गया।
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