देश की खबरें | प्रकृति संरक्षण के लिए सनातन दृष्टि पर आधारित पर्यावरण अनुकूल नीतियों की जरूरत : कलराज मिश्र

जयपुर, पांच जून राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने रविवार को संतुलित विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रकृति संरक्षण की सनातन भारतीय दृष्टि पर आधारित पर्यावरण अनुकूल नीतियों के निर्माण पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि पंचभूत तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को महत्व देने वाली भारतीय सनातन संस्कृति प्रकृति पूजक रही है तो इसके मूल में पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने का वैज्ञानिक आधार है।

कलराज ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर माउंट आबू स्थित ज्ञान सरोवर में ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा “कल्प तरू” अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “वैज्ञानिक विकास तभी सार्थक होता है, जब तक उससे पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़े। इसलिए हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीवन जीना चाहिए।”

राज्यपाल के मुताबिक, पर्यावरणीय संकट का प्रमुख कारण प्रकृति से अपने आपको दूर कर पंचभूत तत्वों की उपेक्षा करना ही है। उन्होंने कहा कि प्रकृति की उपेक्षा कर विकास को गति देने के प्रयासों और उपभोक्तावाद ने प्राकृतिक व जैविक आपदाओं को न्योता दिया है।

कलराज ने कहा कि अमृता देवी के नेतृत्व में खेजड़ली में पेड़ों के लिए हुआ बलिदान वृक्ष संस्कृति में समायी हमारी प्रकृति संरक्षण से जुड़ी सोच का सबसे बड़ा प्रमाण है।

उन्होंने जैव विविधता को नष्ट होने से बचाने और पर्यावरण में असंतुलन को दूर करने के लिए सभी से उपभोक्तावादी जीवनशैली को बदलने का आह्वान किया।

इस मौके पर राजयोगी डॉ. बीके मृत्युंजय ने बताया कि अभियान के दौरान जो पौधे लगाए जाएंगे, उनका पांच साल तक संरक्षण भी किया जाएगा।

वहीं, राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी संतोष दीदी ने कहा कि मुंबई में सार्वजनिक उद्यानों में बीते 25 वर्षों से संस्था द्वारा पौधारोपण कर विकास किया जा रहा है।

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