Navy Leak Case: सीबीआई ने एक और नौसैन्य अधिकारी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया

नौसेना के उपकरणों की खरीद तथा उनकी देखरेख से संबंधित गोपनीय सूचना कथित तौर पर लीक करने के मामले में सितंबर में गिरफ्तार किए गए नौसेना के कमांडर जगदीश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप-पत्र दाखिल किया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

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Navy Leak Case: सीबीआई ने एक और नौसैन्य अधिकारी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया

नौसेना के उपकरणों की खरीद तथा उनकी देखरेख से संबंधित गोपनीय सूचना कथित तौर पर लीक करने के मामले में सितंबर में गिरफ्तार किए गए नौसेना के कमांडर जगदीश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप-पत्र दाखिल किया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Navy Leak Case: सीबीआई ने एक और नौसैन्य अधिकारी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया
भारतीय नौसेना (Photo Credits: Twitter)

नयी दिल्ली, 24 नवंबर : नौसेना के उपकरणों की खरीद तथा उनकी देखरेख से संबंधित गोपनीय सूचना कथित तौर पर लीक करने के मामले में सितंबर में गिरफ्तार किए गए नौसेना के कमांडर जगदीश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप-पत्र दाखिल किया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि छह आरोपियों के खिलाफ दो आरोप-पत्र पहले ही दाखिल किए जा चुके थे लेकिन कमांडर जगदीश के खिलाफ जांच चल रही थी. सोमवार को सीबीआई ने उनके खिलाफ भी आरोप-पत्र दाखिल कर दिया. उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त अधिकारी कमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर एस जे सिंह, सेवारत अधिकारी कमांडर अजीत पांडे और हैदराबाद स्थित एलेन रेनफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक समेत कई आरोपियों को इस मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है. बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि सीबीआई ने यह स्वीकार किया है कि सरकारी गोपनीयता कानून (ओएसए) के तहत जांच चल रही है लेकिन उन्होंने आरोप-पत्र में इसका जिक्र नहीं किया. वकीलों ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया गया आरोप-पत्र अधूरा है अत: आरोपी स्वत: जमानत पाने का अधिकारी हो जाता है.

जांच एजेंसी अगर 60 दिन अथवा 90 दिन की तय अवधि (लगाए गए आरोपों के आधार पर) के भीतर आरोप-पत्र दाखिल नहीं करती है तो आरोपी वैधानिक रूप से जमानत का हकदार हो जाता है. बचाव पक्ष के वकीलों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दलील दी थी कि सरकारी गोपनीयता कानून के तहत आरोप-पत्र 90 दिन में नहीं बल्कि 60 दिन के भीतर दायर होना चाहिए. विशेष अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों के दलीलों से सहमत होते हुए कहा कि सरकारी गोपनीयता कानून के संबंध में सीबीआई का आरोप-पत्र अधूरा है. इसके बाद अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी. यह भी पढ़ें : आरएलडी के लिए 36 सीटों पर अखिलेश यादव राजी, 6 सीटों पर होंगे सपा के उम्मीदवार

सीबीआई को नौसेना में खरीद को लेकर एक बैठक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लीक होने की सूचना मिली थी जिसके बाद दो सितंबर को सेनानिवृत्त नौसैन्य अधिकारी कमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर सतविंदर जीत सिंह के यहां छापेमारी की गई थी. दोनों को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में सीबीआई ने कमांडर अजीत कुमार पांडे, कमांडर जगदीश और एलेन रेनफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के अधिकारियों समेत कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था.

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