ताजा खबरें | लॉकडाउन के दौरान नालसा ने 2878 घरेलू हिंसा मामलों में कानूनी सहायता प्रदान की: सरकार

नयी दिल्ली, 17 सितंबर केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि अप्रैल से जून महीने के बीच जब कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था, उस दौरान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने 2878 घरेलू हिंसा मामलों में कानूनी सहायता प्रदान की।

महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि इस अवधि के दौरान 694 मामले मध्यस्थता के माध्य‍म से निपटाए गए हैं।

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उन्होंने बताया, ‘‘अप्रैल 2020 से जून 2020 तक की अवधि के लिए नालसा से प्राप्त सूचना के अनुसार 2878 घरेलू हिंसा मामलों में कानूनी सहायता प्रदान की गई है और 452 मामलों में घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत याचिकाएं दायर की गई हैं। 694 मामले मध्यस्थता के माध्य‍म से निपटाए गए हैं।’’

ईरानी ने बताया कि सरकार ने इस दौरान यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि ‘वन स्टॉप सेंटर’ और महिला हेल्पलाइन कार्यशील रहें। इसके अलावा घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण कानून के तहत संरक्षण अधिकारियों और दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज प्रतिषेध अधिकारियों को भी लॉकडाउन के दौरान हिंसा से प्रभावित महिलाओं को संरक्षण और सहयोग प्रदान करने से संबंधित अपनी सेवाएं जारी रखने का निर्देश दिया गया था।

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एक अन्य सवाल के जवाब में ईरानी ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को सीमित करने के लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘जुलाई, 2020 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ परामर्श के दौरान बहुत से राज्यों ने कोविड-19 की बढ़ती हुई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए आंगनवाड़ी केंद्रों को खोलने में अपनी असमर्थता जाहिर की थी। हालांकि आंगनवाड़ी लाभार्थियों को निरंतर पोषण संबंधी सहायता सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाड़ी कर्मियों और सहायिकाएं 15 दिन में एक बार लाभार्थियों के घर पर अनुपूरक पोषण का वितरण कर रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि इसके अलावा सरकार ने राज्यों को आवश्यवक निर्देश जारी कर लाभार्थियों के घर पर 15 दिन में एक बार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा खाद्य सामग्री और पोषण सहायता का वितरण सुनिश्चित करने को कहा है।

ईरानी ने कहा, ‘‘इसके अतिरिक्त आंगनवाड़ी कर्मचारी और आंगनवाड़ी सहायिकाएं सामुदायिक निगरानी जागरुकता पैदा करने या समय-समय पर उन्हें सौंपे गए किसी अन्य कार्य में स्था़नीय प्रशासन को सहायता भी प्रदान कर रही हैं। ’’

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