मुंबई, 11 जून : शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी नीतीश कुमार और एन चंद्रबाबू नायडू "असंतुष्ट" हैं. संवाददाताओं से बातचीत में संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राकांपा प्रमुख शरद पवार के लिए इस्तेमाल किये गये शब्द 'भटकती आत्मा' का भी जिक्र किया और कहा कि यह 'भटकती बेचैन आत्मा' तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक कि केन्द्र और महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकारों को बेदखल नहीं कर दिया जाता. राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को लगता है कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार देश के हित में नहीं है तो उन्हें इसे गिरा देना चाहिए.
राउत ने कहा, "केंद्र में दो 'अतृप्त आत्माएं' हैं- (बिहार के मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार और (टीडीपी प्रमुख) चंद्रबाबू नायडू. आपको (भाजपा को) इन दो अतृप्त आत्माओं को संतुष्ट करना चाहिए. जिस तरह से विभागों का बंटवारा किया गया है, उससे ऐसा लगता है कि सभी आत्माएं असंतुष्ट हैं, खासकर राजग के सहयोगी." बुधवार को विभागों के आवंटन में नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड के ललन सिंह को पंचायती राज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय मिले, जबकि तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के के. राममोहन नायडू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय मिला है. संजय राउत ने कहा कि जनता दल (सेक्युलर) नेता एच डी कुमारस्वामी को "सबसे बेकार" विभाग दिया गया है. उन्हें भारी उद्योग और इस्पात मंत्रालय दिया गया है. यह भी पढ़ें : आंध्र प्रदेश: राजग ने राज्यपाल से नायडू को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का अनुरोध किया
राउत ने दावा किया कि भाजपा ने सबकुछ अपने पास रख लिया है. मोदी नीत मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री न होने का जिक्र करते हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि यह संविधान के खिलाफ है. राउत ने निशाना साधते हुए कहा, "मोदी ने चुनावों के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था. वे देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार डालना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि मुसलमानों ने भाजपा को वोट नहीं दिया है, इसलिए वे मंत्रिमंडल में नहीं हैं." संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में कोई दम नहीं है. उन्होंने दावा किया कि इन पार्टियों का गठन सिर्फ डर के कारण और शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया है.