नयी दिल्ली, 24 मार्च केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने सऊदी अरब में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाए गए एक हिंदू व्यक्ति के शव को भारत लाने की प्रक्रिया तेज करने के लिए यहां सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह के समक्ष दलीलें रखी। मंत्रालय ने अदालत को यह भी बताया कि सऊदी अरब के अधिकारियों ने भारतीय नागरिक की कब्र को खोदने और शव प्रत्यर्पित करने के संबंध में कोई समयसीमा नहीं दी है और सरकार इस प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रही है।
विदेश मंत्रालय की दलील पर गौर करते हुए अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए पांच अप्रैल की तारीख तय की।
अदालत उस मामले पर सुनवाई कर रही है जिसमें सऊदी अरब में एक हिंदू व्यक्ति का अंतिम संस्कार गलती से मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार कर दिया गया। जेद्दा में भारतीय वाणिज्यदूतावास के अधिकारियों ने कथित तौर पर दिए डेथ सर्टिफिकेट पर उसके धर्म के बारे में गलत अनुवाद कर दिया था जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई।
मृतक की पत्नी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए विदेश मंत्रालय को एक तय समयसीमा में कब्र खुदवाने और शव स्वदेश लाने की प्रक्रिया तेज करने के वास्ते कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
संजीव कुमार की दिल का दौरा पड़ने से 24 जनवरी को सऊदी अरब में मौत हो गई थी और उनका शव वहां एक अस्पताल में रखा गया था। वह सऊदी अरब में काम कर रहे थे।
याचिकाकर्ता अंजू शर्मा ने कहा कि अपने पति की मौत की खबर मिलने के बाद परिवार ने अधिकारियों से शव भारत लाने का अनुरोध किया ।
वकील सुभाष चंद्रन के. आर. के जरिए दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘18 फरवरी को याचिकाकर्ता को बताया गया कि उसके पति का शव सऊदी अरब मे दफना दिया गया है जबकि मृतक के परिवार के सदस्य भारत में शव लाए जाने का इंतजार कर रहे थे।’’
याचिका में कहा गया है, ‘‘भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वाणिज्य दूतावास, जेद्दा के आधिकारिक अनुवादक की गलती के कारण ऐसा हुआ जिसने डेथ सर्टिफिकेट पर गलती से उसका धर्म ‘मुस्लिम’ कर दिया।’’
याचिका में कहा गया है कि न तो पत्नी और न ही परिवार के किसी सदस्य ने कुमार का शव सऊदी अरब में ही दफनाने की मंजूरी दी।
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