Mumbai Fire: फ्लैट में फंसे एक परिवार को बचाने पहुंचे सुरक्षा कर्मी की गिरकर मौत
मध्य मुंबई में 'वन अविघ्ना पार्क' इमारत की 19वीं मंजिल पर शुक्रवार दोपहर जब आग लग गई, तो सुरक्षा गार्ड अरुण तिवारी (30) उन लोगों में शामिल थे, जो एक फ्लैट के अंदर फंसे एक परिवार की मदद करने के लिए दौड़ पड़े थे. उन्होंने एक महिला और दो बच्चों को तो बचा लिया, लेकिन तिवारी अंदर फंसे रह गए.
मुंबई, 23 अक्टूबर : मध्य मुंबई में 'वन अविघ्ना पार्क' इमारत की 19वीं मंजिल पर शुक्रवार दोपहर जब आग लग गई, तो सुरक्षा गार्ड अरुण तिवारी (30) उन लोगों में शामिल थे, जो एक फ्लैट के अंदर फंसे एक परिवार की मदद करने के लिए दौड़ पड़े थे. उन्होंने एक महिला और दो बच्चों को तो बचा लिया, लेकिन तिवारी अंदर फंसे रह गए. इस घटना की एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिख रहा है कि इमारत की 19वीं मंजिल पर फ्लैट की बालकनी की रेलिंग को पकड़े बेबस दिख रहे तिवारी देखते ही देखते इमारत से नीचे गिर जाते हैं. इसके बाद उन्हें नगर-निगम द्वारा संचालित केईएम अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. तिवारी के कुछ साथियों ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा कि जब आग लगने का अलार्म बजा तब वह इमारत का नियमित चक्कर लगा रहे थे.
इस दौरान इमारत के सुरक्षा कर्मियों को 19वीं मंजिल पर स्थित फ्लैट में आग लगने का संदेश मिला. उन्होंने कहा कि तिवारी और अन्य सुरक्षाकर्मी आग बुझाने वाले उपकरणों केा लेकर वहां पहुंचे. जिस फ्लैट में आग लगी उसमें एक महिला और दो बच्चे मौजूद थे. सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बचा लिया और आग बुझाने की कोशिश की. लेकिन जल्द ही फ्लैट में काला धुआं भर गया, जिससे सांस लेना असंभव हो गया, लिहाजा वे भागकर गलियारे में आ गए. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- ‘श्रीराम भारतीयता के प्रतीक हैं’
उन्होंने कहा कि तिवारी अंदर ही फंसे रह गए. आग फ्लैट के दरवाजे तक पहुंच चुकी थी, जिससे शायद वह अपना रास्ता नहीं ढूंढ पाए. तिवारी के एक साथी ने कहा, ''उन्होंने मेरे मोबाइल पर मुझे कॉल किया. चूंकि दरवाजे से बाहर निकलना असंभव था, लिहाजा मैंने उन्हें तब तक बालकनी के एक कोने में प्रतीक्षा करने के लिये कहा, जब तक दमकल कर्मी उन्हें बचाने नहीं आ जाते.'' तिवारी के एक साथी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के निकट एक गांव से संबंध रखने वाले तिवारी बीते आठ साल से वन अविघ्ना पार्क में काम कर रहे थे और इमारत में हर कोई उन्हें एक भले इंसान के रूप में जानता था.