Madhya Pradesh: सेना में प्रशिक्षण प्राप्त कर पहली बार अपने गांव पहुंचे जवान का ग्रामीणों ने बैंड-बाजे के साथ किया स्वागत
जिले के किशनपुर गाँव के लोगों ने सेना में भर्ती होने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर पहली बार अपने गांव लौटे 18 वर्षीय जवान अखिलेश चक्रवर्ती का ग्रामीणों ने फूलों से सुसज्जित बैलगाड़ी पर बैठाकर बैंड बाजों के साथ करीब दो किलोमीटर का जुलूस निकालकर भव्य स्वागत किया और जश्न मनाया
भोपाल: छतरपुर जिले के किशनपुर गाँव के लोगों ने सेना में भर्ती होने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर पहली बार अपने गांव लौटे 18 वर्षीय जवान अखिलेश चक्रवर्ती का ग्रामीणों ने फूलों से सुसज्जित बैलगाड़ी पर बैठाकर बैंड बाजों के साथ करीब दो किलोमीटर का जुलूस निकालकर भव्य स्वागत किया और जश्न मनाया. छतरपुर जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर लवकुश नगर तहसील क्षेत्र के किशनपुर गांव में रविवार को यह भव्य स्वागत देखने को मिला। सोशल मीडिया पर भी यह स्वागत चर्चा का विषय बन गया है.
सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने आज बताया कि किशनपुर गांव के शासकीय शिक्षक भूरे लाल चक्रवर्ती के बेटे अखिलेश चक्रवर्ती का चयन भारतीय सेना में हुआ था और नासिक में प्रशिक्षण करने के बाद रविवार को वह पहली बार अपने घर आया. उन्होंने कहा कि गांववालों को उसके आने की खबर लगी। उसके परिवार वालों से लेकर सारा गांव अपने गांव के लाडले बेटे को लेने गांव से करीब दो किलोमीटर दूर भुगरा बाबा, हनुमान मंदिर जा पहुंचा. यह भी पढ़े: वायुसेना ने हिंदी कविता के जरिए पाकिस्तान को फटकारा, पढ़कर आप हो जाएंगे देशभक्ति से ओत-प्रोत
सिंह ने बताया कि इतना ही नहीं, जवान अखिलेश चक्रवर्ती की सवारी के लिए एक बैलगाड़ी भी सजाई गई। अखिलेश को गांव की महिलाओं ने तिलक किया, आरती उतारी और ग्रामीणों ने उसे माला पहनाकर भव्य स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इसके बाद सभी लोग झूमते-नाचते मंदिर से करीब दो किलोमीटर दूर अपने गांव तक अपने इस फौजी बेटे को गांव लेकर आए. यह नजारा जिसने भी देखा, उसके जहन में भी देशप्रेम का भाव फूट पड़ा.
सिंह ने बताया कि चक्रवर्ती किशनपुर गाँव का पहला बेटा है, जो भारतीय सेना में भर्ती हुआ है. इससे इस गांव के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं, फौजी अखिलेश का हृदय भी गांववालों के स्नेह और स्वागत से गदगद हो गया है. इस अभूतपूर्व स्वागत को लेकर चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘इसकी तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी। गाँववालों ने मुझे अपने प्यार से ऋणी बना दिया है.
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