देश की खबरें | मप्र : पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान पर इंदौर में कई संगठनों ने जताया विरोध

इंदौर, नौ जनवरी मध्यप्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन खतरनाक कचरे के निपटान की योजना को लेकर अलग-अलग संगठनों ने इंदौर में बृहस्पतिवार को विरोध जताया।

संगठनों को आशंका है कि पीथमपुर में इस अपशिष्ट के निपटान से औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही इंदौर और आस-पास के इलाकों में आबो-हवा और इंसानी आबादी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

प्रदर्शनकारी पीथमपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर इंदौर में संभाग आयुक्त (राजस्व) कार्यालय के बाहर जुटे।

पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने प्रदर्शन के दौरान कहा, ‘‘हमारी बस एक ही मांग है कि यूनियन कार्बाइड कारखाने का कचरा पीथमपुर में नहीं जलाया जाए। हम अपने प्रदर्शन के जरिये लोगों में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।’’

पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1,250 इकाइयां हैं जहां हजारों मजदूर काम करते हैं। इनमें देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं।

इंटक की राज्य इकाई के अध्यक्ष श्यामसुंदर यादव ने कहा, ‘‘प्रदेश सरकार का कहना है कि यूनियन कार्बाइड कारखाने का कचरा जहरीला नहीं है। अगर यह कचरा जहरीला नहीं है, तो इसका निपटारा भोपाल में ही क्यों नहीं कर दिया गया?’’

उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि इस कचरे को राजस्थान के पोखरण ले जाकर निर्जन रेगिस्तान में दफना दिया जाए।

विरोध प्रदर्शन में अलग-अलग श्रमिक संगठनों, सामाजिक संगठनों और किसान संगठनों के पदाधिकारी और गांधीवादी कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने का कचरा दो जनवरी को पीथमपुर में एक निजी कंपनी की संचालित अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था। इसके बाद पीथमपुर में पिछले सप्ताह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। फिलहाल इस औद्योगिक क्षेत्र में हालात शांतिपूर्ण हैं।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने छह जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए।

भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात इस कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

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