MP: राधा-कृष्ण बने 5,000 बच्चों के साथ जन्माष्टमी के उत्साह में डूबे मुख्यमंत्री मोहन यादव

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जन्माष्टमी के एक दिन पहले, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव रविवार को इंदौर में भगवान कृष्ण और राधा की वेश-भूषा में एक पंडाल के नीचे जुटे करीब 5,000 बच्चों के साथ इस पर्व के उत्साह में डूबे दिखाई दिए।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव

इंदौर, 25 अगस्त : जन्माष्टमी के एक दिन पहले, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव रविवार को इंदौर में भगवान कृष्ण और राधा की वेश-भूषा में एक पंडाल के नीचे जुटे करीब 5,000 बच्चों के साथ इस पर्व के उत्साह में डूबे दिखाई दिए. इस मौके पर उन्होंने भगवान कृष्ण के अलग-अलग पक्षों पर संवाद के लिए राज्य के नगरीय क्षेत्रों में विशेष केंद्र खोलने और हर विकासखंड में एक गांव को आदर्श ग्राम के तौर पर विकसित किए जाने की घोषणाएं कीं. यादव, इंदौर के प्रभारी मंत्री भी हैं. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने राधा और कृष्ण की वेश-भूषा में शहर के दशहरा मैदान में जुटे करीब 5,000 बच्चों के साथ जन्माष्टमी का उत्सव मनाया.

इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार की. उन्होंने कुछ बच्चों को गोद में उठाकर दुलारते हुए उन्हें मक्खन भी खिलाया. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इंदौर का गीता भवन भगवान कृष्ण के विविध पक्षों पर संवाद का बड़ा केंद्र है. हमारी सरकार आने वाले समय में राज्य के नगरीय क्षेत्रों में गीता भवन की तर्ज पर केंद्र खोलेगी जिनसे हमें भगवान कृष्ण के अलग-अलग पक्षों पर चर्चा-परिचर्चा का अवसर मिलेगा.’’ उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावित केंद्रों के लिए नगरीय निकायों को राज्य सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन केंद्रों को पौराणिक विषयों पर प्रामाणिक ज्ञान के आदान-प्रदान के स्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा. यह भी पढ़े : कर्नाटक में भाजपा ने विधायकों को लुभाने के लिए 100 करोड़ रुपये की पेशकश की:कांग्रेस विधायक

इंदौर का गीता भवन एक पारमार्थिक ट्रस्ट का संचालित संस्थान है जहां अलग-अलग धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. यादव ने कहा कि गोकुल और बरसाना के पौराणिक वैभव से प्रेरणा लेते हुए सूबे के हर विकासखंड के एक गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन गांवों में गो पालन, दूध उत्पादन, जैविक खेती और स्वच्छता के साथ ही सुशासन, संस्कारों, पारिवारिक मूल्यों और सह अस्तित्व की भावना को बढ़ावा दिया जाएगा.

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