इंदौर (मप्र), तीन दिसंबर इंदौर की जिला अदालत ने 13 वर्षीय एक स्कूली छात्रा के लैंगिक उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेजों की जालसाजी के बहुचर्चित मामले में उत्तरप्रदेश के एक चूड़ी विक्रेता को आरोपों से बरी कर दिया। बचाव पक्ष के एक वकील ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
विशेष न्यायाधीश रश्मि वाल्टर ने उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के चूड़ी विक्रेता तस्लीम उर्फ गोलू (28) को बरी किए जाने का फैसला सोमवार को सुनाया।
अदालत ने 27 पेज के अपने फैसले में कहा कि साक्ष्यों की विवेचना से तस्लीम के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं।
अदालत में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता नाबालिग लड़की और उसके माता-पिता ने आरोपी (तस्लीम) को पहचानने से ही इनकार कर दिया तथा प्राथमिकी के आरोपों को लेकर अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया।
अदालत में अभियोजन पक्ष यह भी साबित नहीं कर सका कि तस्लीम ने अपना फर्जी आधार कार्ड बनाकर इसका असली के रूप में इस्तेमाल किया।
फैसले में चूड़ी विक्रेता (28) को लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट), भारतीय दंड विधान की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और प्राथमिकी में अन्य प्रावधानों के तहत लगाए गए आरोपों से मुक्त किया गया है।
फैसले के बाद तस्लीम ने ‘‘पीटीआई-’’ से कहा,‘‘मैं बेगुनाह था। मुझे कुछ लोगों ने झूठे मामले में फंसा दिया था। हालांकि, मुझे देश के संविधान और न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा था।’’
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