देश की खबरें | मध्य प्रदेश के बजट पर उद्योग-व्यापार जगत का मिश्रित रुख, सस्ते पेट्रोल-डीजल की आस अधूरी

इंदौर, दो मार्च मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था और सरकारी खजाने पर कोविड-19 की तगड़ी मार के बीच वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए मंगलवार को पेश राज्य के बजट को लेकर उद्योग-व्यापार जगत की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है।

हालांकि, दो लाख 41 हजार 375 करोड़ रुपये के इस बजट में पेट्रोल-डीजल की कमरतोड़ महंगाई से कोई राहत नहीं दिए जाने पर उद्योग-व्यापार जगत के नुमाइंदों ने निराशा जताई है।

राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर की करीब 850 इकाइयों की नुमाइंदगी करने वाले पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के पेश बजट को "संतोषप्रद" बताया।

उन्होंने हालांकि कहा, "राज्य में नये उद्योग लगाने के लिए पूंजी निवेश पर प्रोत्साहन राशि के रूप में 1,437 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इस मद में ज्यादा रकम का इंतजाम किया जाना चाहिए था।"

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के औद्योगिक संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने कहा कि इस क्षेत्र पर बजट प्रावधानों के असर को लेकर फिलहाल कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं उभर रही है।

उन्होंने कहा, "डीजल की कीमतों के आसमान छूने के चलते ट्रांसपोर्टरों ने माल भाड़ा बढ़ा दिया है जिससे हमारी उत्पादन लागत में इजाफा हो गया है। प्रदेश सरकार को पेट्रोल-डीजल पर मूल्य संवर्धित कर (वैट) घटाने का बजट प्रावधान अवश्य करना चाहिए था।"

कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, "तसल्ली की बात है कि कोविड-19 के संकट काल में प्रदेश सरकार ने बजट के जरिये कोई नया कर नहीं लगाया है। लेकिन बजट को लेकर हमारी यह बड़ी उम्मीद अधूरी ही रह गई कि पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाकर बढ़ती महंगाई से आम लोगों को राहत दी जाएगी।"

अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने कहा कि प्रदेश के बजट से कृषि आधारित उद्योगों तथा सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा और "आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश" की परिकल्पना साकार होगी।

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