नयी दिल्ली, नौ मई कांग्रेस ने मणिपुर की हालिया हिंसा को लेकर मंगलवार को केंद्र और प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राज्य उच्च न्यायालय में यह पक्ष रखा जाना चाहिए था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के दर्जे के संदर्भ में प्रदेश सरकार तथा उच्च न्यायालय के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं होता है।
मुख्य विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से गफलत पैदा की गई, जिस कारण इतनी बड़ी हिंसा हो गई।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की एक टिप्पणी से जुड़ी खबर का हवाला देते हुए कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश ने जो कहा है, उसके परिप्रेक्ष्य में मणिपुर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने जो किया है, वह आश्चर्यजनक है।’’
रमेश ने कहा कि केंद्र की सत्ता में बैठे लोग अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते।’’
उन्होंने जो खबर साझा की है, उसके मुताबिक, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा है कि उच्च न्यायालय को अनुसूचित जनजाति की सूची में बदलाव करने के लिए निर्देश देने का अधिकार नहीं है।
पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का सोमवार को आया फैसला बताता है कि भाजपा की चोरी पकड़ी गई है। प्रदेश और केंद्र सरकार मणिपुर में इस नाजुक स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने जनजाति के दर्जे की मांग का निर्णय प्रदेश पर क्यों छोड़ा, खुद केंद्र सरकार ने इस पर कानून क्यों नहीं बनाया? 22 वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ का निर्णय था, जो स्पष्ट करता है कि अनुसूचित जातियों और अनूसूचित जनजातियों के विषय में प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।’’
सिंघवी ने सवाल किया, ‘‘मणिपुर की भाजपा सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए उच्च न्यायालय में इसपर अपना प्राथमिक विरोध क्यों नहीं जताया?’’
उन्होंने कहा कि मणिपुर की भाजपा सरकार को उच्च न्यायालय में विरोध जताना चाहिए था कि यह प्रदेश सरकार का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
सिंघवी ने आरोप लगाया, ‘‘प्रदेश की भाजपा सरकार की इस गफलत का खामियाजा आज मणिपुर झेल रहा है।’’
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जो रातोंरात पूरे राज्य में फैल गई थी।
हिंसा के कारण 50 से अधिक लोगों की जान चली गई है तथा 23,000 लोगों ने सैन्य छावनियों और राहत शिविरों में शरण ले रखी है।
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