नयी दिल्ली, 13 जून देश में कोविड-19 के मामले शनिवार को तीन लाख से अधिक होने के बाद सरकार ने इस घातक संक्रमण के इलाज के लिए संशोधित प्रोटोकॉल जारी किया है जिसमें आपातकाल में वायरसरोधी दवा रेमडेसिविर, प्रतिरोधक क्षमता के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा टोसीलीजुमैब और प्लाज्मा उपचार की अनुशंसा की गई है।
मंत्रालय ने शनिवार को ‘कोविड-19 के लिए क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल’ की समीक्षा की है। इसने कहा कि बीमारी की शुरुआत में सार्थक प्रभाव के लिए मलेरिया रोधक दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और गंभीर मामलों में इससे बचना चाहिए।
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मंत्रालय ने नये प्रोटोकॉल के तहत गंभीर स्थिति और आईसीयू की जरूरत होने की स्थिति में एजिथ्रोमाइसीन के साथ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किए जाने की पहले की अनुशंसा को समाप्त कर दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में कोविड-19 के दो लाख मामले सामने आने के दस दिनों बाद शनिवार को यह आंकड़ा तीन लाख के पार पहुंच गया। एक दिन में सर्वाधिक 11,458 मामले भी शनिवार को सामने आए। साथ ही कोरोना वायरस से एक दिन में 386 लोगों की मौत के साथ ही मृतकों की संख्या 8884 हो गई है।
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भारत में संक्रमितों की संख्या सौ से एक लाख तक पहुंचने में 64 दिन लग गए, फिर अगले एक पखवाड़े में यह संख्या दो लाख हो गई। भारत तीन लाख आठ हजार 993 मामलों के साथ दुनिया में चौथा सर्वााधिक बुरी तरह प्रभावित देश है। यहां से अधिक मामले अमेरिका, ब्राजील और रूस में हैं।
इसने कहा कि कई अध्ययनों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के क्लीनिकल इस्तेमाल में काफी लाभ बताये गये हैं।
संशोधित प्रोटोकॉल में कहा गया है, ‘‘कई बड़े अवलोकन अध्ययनों में इसका कोई प्रभाव या सार्थक क्लीनिकल परिणाम नहीं दिखा है।’’
इसमें बताया गया है, ‘‘अन्य वायरसरोधी दवाओं की तरह इसका इस्तेमाल बीमारी की शुरुआत में किया जाना चाहिए ताकि सार्थक परिणाम हासिल किया जा सके और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल करने से बचा जाना चाहिए।’’
आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिविर का इस्तेमाल ऐसे मध्यम स्थिति वाले रोगियों के लिए किया जा सकता है जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत हो। इसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए नहीं किया जाना चाहिए जो गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित हों और उच्च स्तर के यकृत एंजाइम से पीड़ित हैं। इसका इस्तेमाल गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में भी नहीं किया जाना चाहिए।
संशोधित दस्तावेज में बताया गया है कि ‘‘इसकी खुराक चार से 13 एमएल प्रति किलोग्राम के बीच हो सकती है। सामान्य तौर पर 200 एमएल की एक खुराक दी जा सकती है जो दो घंटे से कम के अंतराल पर नहीं हो।’’
इंजेक्शन के तौर पर दी जाने वाली दवा पहले दिन 200 एमजी दी जानी चाहिए, जिसके बाद पांच दिनों तक प्रतिदिन सौ एमजी दी जानी चाहिए।
संशोधित प्रोटोकॉल के अनुसार प्लाज्मा उपचार