नयी दिल्ली, चार फरवरी केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह अपने हालिया हलफनामे पर सात फरवरी को अपनी दलीलें पेश करेगा, जिसमें उसने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने का आग्रह करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टालने का आग्रह किया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार द्वारा दायर अतिरिक्त हलफनामे के बारे में न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ को अवगत कराया और कहा, "मैं सोमवार को हलफनामे पर अपनी दलील पेश करूंगा।"
पीठ ने पूछा कि क्या वह बृहस्पतिवार को उसे मेल द्वारा भेजे गए हलफनामे की बात कर रहे हैं। इसने कहा कि वह सोमवार (सात फरवरी) को मामले की सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान एक महिला याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की अपनी दलीलों के समर्थन में उच्चतम न्यायालय के कुछ निर्णयों और ब्रिटेन के विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया।
केंद्र ने बृहस्पतिवार को दायर अपने अतिरिक्त हलफनामे में सुनवाई स्थगित करने के अपने अनुरोध को दोहराते हुए कहा कि अगर 2015 से लंबित मामला कुछ समय के लिए और इस तरह की उपयोगी कवायद की प्रतीक्षा करता है, तो कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा और सरकार के लिए यह संभव होगा कि वह अदालत की सार्थक मदद कर सके।
इसने कहा है कि इस मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों और राज्य सरकारों के साथ परामर्श प्रक्रिया की आवश्यकता है।
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