नयी दिल्ली/रायपुर, दो अक्टूबर छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी समझे जाने वाले करीब 20 विधायक दिल्ली में जमे हुए हैं जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि, बघेल ने शनिवार को कहा कि विधायक कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र हैं और इसमें राजनीति नहीं देखी जानी चाहिए।
दिल्ली पहुंचे विधायक बृहस्पत सिंह ने शनिवार को फिर कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का दूर-दूर तक कोई सवाल नहीं है और बघेल की अगुवाई में ही पूरे पांच साल सरकार चलेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में मौजूद विधायकों ने शनिवार को गांधी जयंती के मौके पर राजघाट पहुंचककर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सिंह ने कहा, ‘‘हम यहां अपने नेताओं से मिलना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि राहुल गांधी जी अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान थोड़ा लंबे समय तक वहां रहें ताकि कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़े।’’
सूत्रों के अनुसार, अब तक करीब 20 विधायक दिल्ली पहुंचे हैं और शनिवार देर रात या फिर रविवार को कुछ और विधायकों के दिल्ली पहुंचने की संभावना है।
इस राजनीतिक हलचल के बीच मुख्यमंत्री बघेल ने रायपुर में कहा उनका राज्य कभी पंजाब नहीं बन सकता है।
बघेल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ ही रहेगा और यह पंजाब नहीं हो सकता है। छत्तीसगढ़ और पंजाब में केवल एक समानता है । दोनों राज्यों का नाम अंक से शुरू होता है। यह (छत्तीसगढ) भी अंक से बना हुआ राज्य है।’’
बघेल राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और पंजाब में सत्ता को लेकर उथल-पुथल मचा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायकों का राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में जमावड़े को लेकर कहा, ‘‘विधायक एक—एक कर दिल्ली गए हैं। वहां जाने में कोई पाबंदी नहीं हैं। सभी स्वतंत्र हैं और कहीं भी आ—जा सकते हैं। वह कोई राजनीतिक मूवमेंट नहीं कर रहे है। इसमें किसी को क्या तकलीफ हो सकती है।’’
इस बीच, कांग्रेस ने बघेल को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक बना दिया। इसे बघेल समर्थक बड़ा संकेत मान रहे हैं।
उनके समर्थक एक विधायक ने कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ विकास के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में है। यही कारण है कि पार्टी आलाकमान का पूरा विश्वास उन पर बना हुआ है।’’
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद से लगातार चर्चा है कि मुख्यमंत्री पद ढाई—ढाई वर्ष तक बघेल और फिर राज्य के वरिष्ठ नेता एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को देने की बात हुई थी। ऐसे में ये विधायक बुधवार को दिल्ली पहुंचे हैं।
विधायकों के दिल्ली पहुंचने के बारे पूछे जाने पर कांग्रेस के छत्तीसगढ़ मामलों के प्रभारी पीएल पुनिया ने बृहस्पतिवार को कहा था कि उनसे अब तक किसी भी विधायक ने संपर्क नहीं किया है।
इस बारे में बघेल ने बृहस्पतिवार को रायपुर में संवाददाताओं से कहा था, ‘‘अब विधायक कहीं जा भी नहीं सकते क्या? हर कदम पर राजनीति नहीं देखनी चाहिए। कोई व्यक्ति अगर कहीं चला गया है तो उसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।’’
सिंहदेव ने भी इसे तवज्जो नहीं देने की कोशिश करते हुए कहा था, ‘‘अब 70 के 70 जा सकते हैं। इसमें मुद्दा क्या है? अगर विधायक दिल्ली जाते हैं तो इसमें क्या मुद्दा है? उत्तर प्रदेश में कई दिनों तक यह सब चला। छत्तीसगढ़ में नया क्या हो रहा है?’’
उनके मुताबिक, सभी विधायकों की यह भावना है कि आलाकमान जो चाहेगा, वह हम सब मानेंगे।
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही बघेल और सिंहदेव के बीच रिश्ते सहज नहीं हैं। जून 2021 में मुख्यमंत्री पद पर बघेल के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के खेमे ने दावा किया कि आलाकमान ने ढाई—ढाई वर्ष बारी बारी से मुख्यमंत्री पद के लिए सहमति दी थी।
राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद कांग्रेस आलाकमान ने विवाद को सुलझाने के लिए अगस्त में बघेल और सिंहदेव को दिल्ली बुलाया था। जब बघेल दिल्ली में थे तब कांग्रेस के 70 में से 54 विधायकों ने उनके समर्थन में दिल्ली का दौरा किया था।
दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी नेता राहुल गांधी उनके निमंत्रण पर राज्य का दौरा करने के लिए सहमत हुए हैं। बघेल ने यह भी कहा था कि जो लोग ढाई—ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद की बात कर रहे हैं वह राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में आलाकमान के साथ बैठक के बाद बघेल और सिंहदेव नेतृत्व के मुद्दे पर कुछ भी कहने से परहेज करते रहे हैं लेकिन राज्य में दोनों गुटों के मध्य विवाद कम नहीं हुआ।
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