Manipur Violence Death Toll: मणिपुर हिंसा में पिछले चार महीने में 175 लोगों की मौत, 1100 लोग घायल
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मणिपुर में मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 175 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1108 लोग घायल हुए हैं और 32 लोग लापता हैं। पुलिस ने यह जानकारी दी।
इम्फाल, 15 सितंबर: मणिपुर में मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 175 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1108 लोग घायल हुए हैं और 32 लोग लापता हैं। पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि इस हिंसा में कुल 4,786 मकानों को आग के हवाले किया गया और 386 धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया. यह भी पढ़ें: Video: गाजियाबाद के वैशाली में धू-धू कर जली दुकान, आग की लपटों को देख मचा हडकंप
पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) आई के मुइवा ने कहा, ‘‘मणिपुर इस समय जिस चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहा है, ऐसे में हम आपको भरोसा दिला सकते हैं कि केंद्रीय बल, पुलिस और नगर निकाय प्रशासन सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है.’’
मुइवा ने बृहस्पतिवार को बताया कि जो हथियार ‘‘खोए’’ थे, उनमें से 1,359 आग्नेयास्त्र और 15,050 गोला-बारूद बरामद कर लिए गए हैं. हिंसा के दौरान कथित तौर पर दंगाइयों ने बड़ी संख्या में पुलिस के हथियार और गोला-बारूद लूट लिए थे.
मुइवा ने बताया कि इस दौरान आगजनी के कम से कम 5,172 मामले दर्ज किए गए और 254 गिरजाघर एवं 132 मंदिर समेत 386 धार्मिक स्थलों में तोड़-फोड़ की गई. पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) के. जयंत ने बताया कि मारे गए 175 लोगों में से नौ की अब भी पहचान नहीं हो पाई है.
उन्होंने कहा, ‘‘79 शवों के परिजन का पता चल गया है जबकि 96 शव लावारिस हैं.
इम्फाल स्थित रिम्स (क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान) और जेनीएमएस (जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान) में क्रमशः 28 और 26 शव रखे हैं, 42 शव चुराचांदपुर अस्पताल में हैं.’’ जयंत ने बताया कि 9,332 मामले दर्ज किए गए और 325 लोगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस महानिरीक्षक (जोन-3) निशित उज्ज्वल ने बताया कि एनएच-32 और एनएच-2 सामान्य रूप से चालू हैं.
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी.
मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। नगा और कुकी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
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