इंफाल, 18 दिसंबर कांग्रेस के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से यहां राजभवन में मुलाकात की और जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग की। पार्टी के एक नेता ने यह जानकारी दी।
प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र के कथित ‘‘कुशासन’’ के खिलाफ पार्टी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत ‘‘राजभवन मार्च’’ भी निकाला।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सुरक्षा बलों ने राजभवन की ओर मार्च करने से रोक दिया जिसके बाद धक्कामुक्की हुई। त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) के जवानों द्वारा लाठीचार्ज में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता घायल हो गए।
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख के. मेघचंद्र ने बताया कि राज्यपाल से मुलाकात के दौरान पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की।
आचार्य से मुलाकात के बाद मेघचंद्र ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस के 15 प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से मुलाकात की। हमने राज्यपाल को बताया कि हम शांति चाहते हैं और उनसे सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया। हमने उन्हें यह भी बताया कि संविधान की रक्षा नहीं की जा रही है और हर कोई प्रभावित हो रहा है।’’
विरोध प्रदर्शन के दौरान, कांग्रेस नेता ने संविधान की प्रति ली हुई थी। उन्होंने दावा किया कि ‘‘विधायकों सहित हर कोई प्रभावित है। हम लोगों की पीड़ा को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।’’
मेघचंद्र ने आरोप लगाया, ‘‘राज्यपाल ने हमारी बात धैर्यपूर्वक सुनी। हम उनसे पहले गुवाहाटी में मिले थे, लेकिन कोई बदलाव नहीं देखा गया। सरकार ने शांति लाने के लिए कोई पहल नहीं की है...जब भी कोई नेता या मंत्री सार्वजनिक मंच से कहता है कि अगले दिन गोलीबारी होगी, तो इससे गलत संदेश जाता है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने विस्थापित लोगों को उनके घरों में तत्काल पुनर्वासित करने और जिलों में नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही की मांग की।
राज्यपाल ने क्या कहा, इस बारे में मीडिया के सवालों पर मेघचंद्र ने जवाब दिया, ‘‘उन्होंने आश्वासन दिया कि शांति बहाल होगी। लेकिन यह सिर्फ एक आश्वासन है और पिछले 19 महीनों में, हमने कई बार मुद्दों को उजागर किया है। हमने सामान्य स्थिति की तत्काल बहाली की मांग करते हुए चार सूत्री ज्ञापन भी सौंपा।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मणिपुर का दौरा न करने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह केंद्र की लापरवाही का संकेत है।’’
पिछले साल मई से मणिपुर में मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
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