मुंबई,एक दिसंबर मालेगांव विस्फोट मामले में पीड़ितों के वकील ने कई गवाहों के मुकर जाने का हवाला देते हुए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआई) के अधीक्षक को पत्र लिखकर आतंकवाद निरोधक स्क्वाड (एटीएस) की मदद लेने का अनुरोध किया है।
अधिवक्ता शाहिद नदीम ने एनआईए की विशेष अदालत में भी पत्र दाखिल किया, जिसे विशेष न्यायाधीश पी आर सितरे ने रिकॉर्ड में दाखिल कर लिया।
पत्र की एक प्रति उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश और बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गयी है।
एनआईए की विशेष अदालत में करीब 208 गवाह पेश हुए थे जिनमें से आठ अपने बयान से मुकर गए हैं।
पत्र में कहा गया,‘‘ ऐसा कहा जा सकता है कि गवाहों के रुख के आधार पर मुकदमे की सुनवाई के संबंध में एनआईए की क्षमता कम हो रही है। अभियोजन गवाहों के बयानों को पढ़े बिना और किसी खास क्रम का पालन किए बिना ही उन्हें बुला रहा है।’’
पत्र में कहा गया है कि विशेष सरकारी वकील का सहयोग कर रहे कई काबिल अधिकारी (एनआईए) उस मूल जांच का हिस्सा नहीं थे जो एटीएस ने की थी।
पीड़ितों के वकील ने पत्र में आगे कहा कि अभियोजन के गवाहों के बयान,जो अब मुकर गए हैं,को एटीएस ने भी दर्ज किए थे और स्क्वाड इस मुद्दे पर एनआईए तथा अदालत को जानकारी देने और सहयोग करने की बेहतर स्थिति में है।
पत्र में कहा गया कि एटीएस से संपर्क करने और सुनवाई में सहयोग मांगने के कोई प्रयास नहीं किए गए जबकि वहीं थे जिन्होंने जांच की थी और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और अन्य अरोपियों को गिरफ्तार किया था।
पीड़ितों ने अनुरोध किया है कि बयानों के स्पष्टीकरण, जांच और अन्य किसी भी प्रकार के प्रश्न के लिए एटीएस अधिकारियों को एनआईए का सहयोग करने के लिए बुलाया जाए।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट मोटरसायकिल में रखे गए विस्फोटक में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गयी थी और सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे।
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