
मुंबई, 30 जनवरी : महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने दावा किया है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्या सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चिंता का विषय हैं और यह समाज का इस्लामीकरण किए जाने का एक प्रयास है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने यह भी कहा कि अवैध प्रवासियों को भारत में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. राणे ने बुधवार को यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं का यहां रहना सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा खतरा है. ये हमारे समाज का इस्लामीकरण किए जाने का एक प्रयास है. पिछली घटनाओं से पता चलता है कि यह मुंबई और देश के लिए एक गंभीर खतरा है.’’
उन्होंने कहा कि मंगल प्रभात लोढ़ा और किरीट सोमैया समेत भाजपा नेता मुंबई के हितों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं. मंत्री ने कहा कि अवैध प्रवासियों को भारत में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और उन्हें पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में भेज देना चाहिए. सिद्धिविनायक मंदिर में ‘ड्रेस कोड’ की आलोचना करने संबंधी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राणे ने उन पर हिंदुत्व का विरोधी होने का आरोप लगाया. यह भी पढ़ें : नोएडा : डॉक्टर की हत्या के मामले में किरायेदार गिरफ्तार, कहा-प्रेमिका के साथ अश्लील हरकत की थी
उन्होंने दावा किया, ‘‘सुले को हिंदुत्व से ‘एलर्जी’ है. उनकी प्रतिक्रिया अपेक्षित थी. क्या सुले ने कभी मुसलमानों द्वारा लोगों को कट्टरपंथी बनाने, मस्जिदों में ड्रेस कोड लागू करने, महिलाओं पर अत्याचार या हिंदू महिलाओं के जीवन को बर्बाद करने के बारे में कुछ कहा है? उनका पसंदीदा विषय हिंदुओं से नफरत करना है. सुले और महा विकास आघाडी (एमवीए) के दूसरे नेता ऐसे ही हैं.’’ राणे ने ‘ड्रेस कोड’ के संबंध में सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट द्वारा लिए निर्णय की सराहना की, जहां छोटे और खुले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि दूसरे मंदिरों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए.