नयी दिल्ली, 14 दिसंबर ऊर्जा के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा करना मुश्किल नहीं है, लेकिन ऊर्जा संरक्षण एवं बेहतर क्षमता के लिए उसका रखरखाव और निगरानी करना एक बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर विशेषज्ञों ने सोमवार को यह बात कही।
इस मौके पर आयोजित एक वेबिनार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘‘हमें ‘लागत प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था’ पर काम करने की जरूरत है। इसका मतलब विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों का दक्ष तरीके से एकीकरण करना है। इसी के साथ हमें नवीकरणीय ऊर्जा के लिए विकेंद्रीकृत मॉडल भी अपनाना होगा। इसके तहत जैसे कि सभी अस्पतालों और क्षेत्र कार्यालयों को सौर ऊर्जा चालित बनाया जा सकता है।’’
वेबिनार का आयोजन डिजायर एनर्जी ने प्राइमस पार्टनर्स के साथ मिलकर किया। यह आयोजन राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर किया गया। वेबिनार में कोरोना काल में भारत में आर्थिक बेहतरी को समर्थन देने के लिये ऊर्जा दक्षता संरक्षण को बनाये रखने पर जोर दिया गया।
इस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के निदेशक शांतनु चौधरी ने कहा कि जल मानव जीवन के लिए सबसे अनिवार्य चीज है। इसलिए इसके न्यायोचित इस्तेमाल की जरूरत है।
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उन्होंने कहा कि जल का रिसाव होना, ना सिर्फ उसकी बरबादी है बल्कि उसे दूषित करना भी है। राजस्थान में दूषित जल एक बड़ी चुनौती है। पाइपलाइनों की निगरानी करने और समय पर उनकी मरम्मत करना जरूरी है। जल का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में प्रौद्योगिकी के उपयोग की अपार संभावनाएं हैं।’’
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