नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर : कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की ‘महायुति’ सरकार ने बुनियादी ढांचे से जुड़ी कुछ परियोजनाओं में चंदे के बदले कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाया जिससे करदाताओं का कम से कम 10,903 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि चुनावी बॉण्ड के बाद यह एक और ‘‘महाघोटाला’’ है. कांग्रेस के आरोप पर महाराष्ट्र की महायुति सरकार या भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं. रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने चुनावी चंदे के बदले में इन्फ्रास्ट्रक्चर टेंडर में कुछ कंपनियों को विशेषाधिकार दिया, जिससे करदाताओं को कम से कम 10,903 करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ है.’’
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महाराष्ट्र में ऐसा ही एक कांड हुआ है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये की डकैती खुद महायुति सरकार ने कराई है. ये 10 हजार करोड़ महाराष्ट्र की जनता के हैं, जो सरकार को कर के रूप में दिए गए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले 'चंदा दो-धंधा लो' की योजना चल रही थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने रोक दिया. जब से न्यायालय ने इनकी योजना को रोका है, तब से पैसे बटोरने की नई-नई योजनाएं बनाई जा रही हैं.’’ कांग्रेस नेता के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम लिमिटेड (एमएसआरडीसी) ने महाराष्ट्र में विभिन्न राजमार्ग परियोजनाओं जैसे विरार-अलीबाग मल्टीमॉडल कॉरिडोर (एमएमसी), पुणे रिंग रोड (पीआरआर) आदि के लिए निविदा निकाली. उन्होंने कहा कि जब निविदा निकालते हैं तो उसके कई मापदंड होते हैं, जिन्हें कई दिशानिर्देशों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इन सारे मापदंडों को बदल दिया गया. यह भी पढ़ें : न्यायालय ने अपहरण मामले में भवानी रेवन्ना की अग्रिम जमानत बरकरार रखी
खेड़ा ने दावा किया कि एक मापदंड है कि किसी भी एक कंपनी को दो से ज्यादा परियोजनाओं का काम नहीं मिल सकता, लेकिन दो कंपनियों को चार-चार परियोजनाओं का ठेका दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘एक और मापदंड है कि कंपनी को सुरंग बनाने का अनुभव होना चाहिए, जबकि इन परियोजनाओं में सुरंग बनाने का काम सिर्फ 10 प्रतिशत है. फिर भी परियोजनाओं का नाम ही सुरंग के नाम से कर दिया गया, ताकि इन कंपनी को काम दिया जा सके.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘निर्माण करने में जो प्रति किलोमीटर की लागत बाकी राज्यों और एनएचएआई ने तय की थी, महाराष्ट्र में उस लागत को दोगुना कर दिया गया. सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये महाराष्ट्र के करदाताओं की जेब से निकालकर कंपनियों को दिए और दूसरे हाथ से उनसे ले लिए. यह भाजपा की लूट है. कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि चुनावी बॉण्ड में भी 13 प्रतिशत चंदा महाराष्ट्र से वसूला गया था. महाराष्ट्र में सभी 288 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा तथा मतगणना 23 नवंबर को होगी.