औरंगाबाद (महाराष्ट्र), 28 अगस्त भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एलोरा में स्थित घृष्णेश्वर मंदिर के संरक्षण का काम करेगा। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
विज्ञान शाखा के उपाधीक्षक पुरातत्व रसायन शास्त्री श्रीकांत मिश्रा ने कहा कि मानसून का मौसम समाप्त होने के बाद एएसआई की पश्चिम क्षेत्र की विज्ञान शाखा इस पर काम शुरू करेगी।
घृष्णेश्वर मंदिर, जिसे 12वां ज्योतिर्लिंग (भगवान शिव को समर्पित विशेष मंदिर) माना जाता है, मुगल-मराठा संघर्ष के दौरान उसे कई बार नुकसान पहुंच था।
एएसआई के अनुसार, 17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज के पूर्वज मालोजीराजे भोसले द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था और 18वीं शताब्दी में अहिल्याबाई होल्कर द्वारा फिर से इसका पुनरूद्धार कराया गया था।
एएसआई के एक अधिकारी ने कहा कि संरचना का बाहरी भाग लाल बेसाल्ट चट्टान का उपयोग करके बनाया गया है, जबकि मंदिर के ‘‘शिखर’’ पर चूने का लेप है।
मिश्रा के मुताबिक, ‘‘काम मानसून के मौसम के बाद शुरू होगा और दो महीने की अवधि में किया जाएगा। मंदिर के ऊपरी हिस्से को थोड़ा काला कर दिया गया है और मूर्तियों की बहाली के साथ इस परत का प्लास्टर मजबूत किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि मरम्मत कार्य पर करीब 15 लाख रुपये खर्च होंगे। एएसआई ने इससे पहले पिछले साल मंदिर के अंदरूनी हिस्सों की मरम्मत की थी।
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