देश की खबरें | संवेदनशील जानकारी रखते हुए सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार कर रहीं थीं माधवी बुच: कांग्रेस

नयी दिल्ली, 14 सितंबर कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर शनिवार को एक बार फिर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह उस समय भी सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार कर रहीं थीं जब उनके पास मूल्य से संबंधित संवेदनशील जानकारी (अनपब्लिशड प्राइज सेंसेटिव इन्फॉरमेशन) थी।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी माधवी बुच की इस गतिविधि से अवगत हैं?

अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ ने हाल ही में बुच पर अदाणी समूह से जुड़े मामले में हितों के टकराव का आरोप लगाया था। इसके बाद से कांग्रेस उन्हें हटाए जाने की मांग कर रही है।

सेबी प्रमुख बुच और उनके पति ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार बताया और जोर देकर कहा है कि उनका वित्तीय कामकाज एक खुली किताब है।

जयराम रमेश ने बुच के ‘‘व्यक्तिगत वित्तीय लाभ से संबंधित खुलासों’’ का उल्लेख करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ क्या प्रधानमंत्री इस बात से अवगत हैं कि सेबी प्रमुख के पास जब अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी थी, तब भी वह सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार कर रही थीं?’’

उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री इस बात से अवगत हैं कि माधवी पी. बुच ने भारत के बाहर उच्च मूल्य के निवेश किए हैं? यदि हां, तो इस निवेश की तिथि और खुलासे की तिथि क्या है? क्या प्रधानमंत्री को पता है कि सेबी अध्यक्ष ऐसे समय में चीनी कंपनियों में निवेश कर रही हैं जब भारत चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव का सामना कर रहा है?’’

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने शनिवार को सेबी प्रमुख को फिर घेरा और आरोप लगाया कि उन्होंने भारत के लोगों को धोखा दिया है।

खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दो सितंबर 2024 को कांग्रेस ने खुलासा किया था कि माधवी बुच ने आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 16.8 करोड़ रुपये (वेतन, ईएसओपी और ईएसओपी पर टीडीएस के रूप में) प्राप्त किए, जबकि उन्हें सेबी से भी वेतन मिल रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि सेबी इस दौरान आईसीआईसीआई और उसके सहयोगियों के खिलाफ शिकायतों को संभाल रहा था।’’

उनके मुताबिक, ‘‘तीन सितंबर 2024 को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा स्पष्टीकरण जारी करने के बाद, हमने "सेवानिवृत्ति लाभ," "ईएसओपी," और "ईएसओपी पर टीडीएस" के बारे में नए तथ्यों के साथ जवाब मांगा। अब तक, आईसीआईसीआई ने इन बिंदुओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।’’

उन्होंने फिर दोहराया कि माधवी पुरी बुच की ‘अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी में उस समय 99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जब यह परामर्शदाता कंपनी ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ समूह को सेवा प्रदान कर रही थी।

खेड़ा ने 10 सितंबर को यह दावा भी किया था कि माधवी के सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते उनके पति धवल बुच को साल 2019-21 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4.78 करोड़ रुपये मिले।

उन्होंने शनिवार को कहा, ‘‘महिंद्रा एंड महिंद्रा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने धवल बुच को व्यक्तिगत रूप से और अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी रकम का भुगतान किया है? यदि ऐसा है, तो क्या वे सार्वजनिक धन हस्तांतरित करने से पहले केवाईसी और सम्यक तत्परता का पालन करने में विफल रहे?’’

खेड़ा ने कहा कि यदि धवल बुच को 4.78 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, तो महिंद्रा एंड महिंद्रा को कथित रूप से ‘‘निष्क्रिय’’ कंपनी अगोरा एडवाइजरी को दिए गए 2.59 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

पिछले दिनों महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कांग्रेस के आरोपों को असत्य और भ्रामक करार देते हुए कहा था कि उसने कभी भी सेबी से तरजीह के लिए अनुरोध नहीं किया तथा धवल बुच की सेवा उनके वैश्विक अनुभव को देखते हुए सिर्फ आपूर्ति श्रृंखला के लिए ली गई थी।

हक हक पवनेश

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