मुंबई, 7 अप्रैल : लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के रफ्तार पकड़ने के बीच महाराष्ट्र की दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों के नेता शरद पवार और उद्धव ठाकरे अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. यह चुनाव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख अजित पवार के लिए भी परीक्षा के समान है, जिन्होंने अपने दलों में तोड़फोड़ की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन में शामिल हो गए.
लेकिन ठाकरे और शरद पवार के लिए चुनौती अधिक बड़ी है क्योंकि वे सत्ता से बाहर हैं और उन्होंने अपने दलों - क्रमशः शिवसेना और राकांपा का मूल नाम और चुनाव चिह्न भी गंवा दिया है. निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली राकांपा और असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है. यह भी पढ़ें : Tamil Nadu: तमिलनाडु वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए बढ़ाई निगरानी
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश अकोलकर ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि दोनों नेताओं को चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन करने की जरूरत है, अन्यथा उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो जाएगा.