Who is Bhole Baba? पुलिस की नौकरी छोड़कर 'भोले बाबा' बन गये कासगंज के सूरजपाल
Hathras Stampede

लखनऊ, 3 जुलाई : बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ ने करीब दो दशक से अधिक समय पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया था और अपने अनुयायियों की एक बड़ी तादाद खड़ी कर दी. हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित ‘भोले बाबा’ के एक सत्संग में मंगलवार को भगदड़ की घटना में 116 लोगों की मौत और कई अन्य के घायल हो जाने के बाद उनके बारे में लोगों की जिज्ञासा बढ़ गयी.

बाबा के प्रभाव और अनुयायियों की अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार की रात को उत्तर प्रदेश शासन की ओर से भगदड़ के जिन मृतकों की सूची जारी की गयी उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एटा और हाथरस जिलों के अलावा आगरा,संभल,ललितपुर,अलीगढ़,बदायूं, कासगंज,मथुरा,औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से सत्संग में पहुंचे थे. खासतौर से बाबा के समागम में जाने वाली अधिकांश महिलाएं हैं. एक अधिकारी ने बताया कि 116 मृतकों में 108 महिलाएं हैं. यह भी पढ़ें : MP: इंदौर के अनाथ आश्रम में चार बच्चों की मौत, जांच के आदेश, एसडीएम को हटाया

पुलिस के एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए ‘पीटीआई-’ को बताया कि कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र के बहादुर नगर के मूल निवासी करीब 70 वर्षीय ‘भोले बाबा’ का असली नाम सूरजपाल है. उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति (एससी) के सूरजपाल ने करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया और ‘भोले बाबा’ बनने के बाद उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी. उनके सत्संग में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं.